सरकार ‘हारमोनाइज्ड मास्टर लिस्ट ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर’ में अत्यधिक संभावना वाले स्वच्छ ऊर्जा (क्लीन एनर्जी) के नए क्षेत्रों ‘सनराइज’ को शामिल करने पर विचार कर रही है। इसके तहत नवीकरणीय ऊर्जा के आधारभूत क्षेत्र पवन, सौर, हाइड्रोजन और डिजिटल आधारभूत संरचना के उपक्षेत्र शामिल हो सकते हैं। यह जानकारी बिज़नेस स्टैंडर्ड को मिली है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार वर्तमान और भविष्य के दशकों की आर्थिक वास्तविकताओं और प्राथमिकताओं को दर्शाने के लिए इस सूची में सुधार करेगी। इसी सिलसिले में यह कदम उठाया गया है।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘अर्थव्यवस्था में 2012 (जब पहली बार मास्टर लिस्ट बनी थी) के बाद से अभी तक आमूलचूल बदलाव आ चुका है। कई क्षेत्र आगे बढ़ रहे हैं और नए क्षेत्र विकसित हो रहे हैं। इसका एक उदाहरण डिजिटल आधारभूत संरचना है। इसमें स्वच्छ ऊर्जा की आधारभूत संरचना भी शामिल है। समिति इस मामले में समग्र नजरिया अपनाएगी और अपनी सिफारिशें पेश करेगी।’
सीतारमण ने अपने हालिया बजट भाषण में कहा था, ‘विशेषज्ञ समिति ‘हारमोनाइज्ड मास्टर लिस्ट ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर’ की समीक्षा करेगी और अमृत काल के अनुरूप वर्गीकरण और ढांचे को धन मुहैया करवाने के लिए सिफारिश करेगी।’
अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्र समिति गठित करने के अंतिम चरण में है। उम्मीद यह है कि इस समिति की अध्यक्षता प्रमुख आधारभूत या आर्थिक नीति का विशेषज्ञ करेंगे। इस समिति में वित्त मंत्रालय व आधारभूत संरचना से जुड़े मंत्रालयों के अधिकारीगण, निजी क्षेत्र और डोमेन के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
वर्तमान समय की हारमोनाइज्ड मास्टर लिस्ट सबसे पहले 2012 में पेश की गई थी। इसमें उन क्षेत्रों का उल्लेख किया गया जिन्हें ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर’ कहा जा सकता है। इस लिस्ट में पांच व्यापक श्रेणियां हैं और हर श्रेणी में 5 से लेकर 15 तक क्षेत्र हैं। इन श्रेणियों में यातायात और लॉजिस्टिक्स, ऊर्जा, जल व स्वच्छता, संचार और सामाजिक व वाणिज्यिक आधारभूत ढांचा हैं। इसका गठन पैनल के बताए मानदंडों के अनुरूप किया गया था और इसके तहत आधारभूत संरचना को पारिभाषित किया गया। इस पैनल की अध्यक्षता भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने की थी।
भारत के हरित ऊर्जा और हरित ईंधन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य हैं। इनके लिए धन मुहैया करवाना जीवाश्म ईंधन की अपेक्षा कहीं महंगा है। देश में सौर और पवन ऊर्जा की परियोजनाओं को पारंपरिक रूप से अधिक ब्याज दर का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा नवीकरणीय ऊर्जा की परियोजनाओं को धन मुहैया करवाने के लिए प्रतिबद्ध एजेंसियों का भी अभाव है। देश में आकर्षक रूप से धन मुहैया नहीं होने के बाद इस क्षेत्र के प्रमुख दिग्गज धन जुटाने के लिए विदेश सॉवरन फंड, निजी इक्विटी और पेंशन फंड पर भरोसा कर रहे हैं।