केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को 2027 में जनगणना करने को मंजूरी दे दी। इसके लिए 11,718 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इसी के साथ देश में पहली बार जाति की गणना भी की जाएगी। सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने जनगणना कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल तरीके से होगी, जिसमें करीब 30 लाख कर्मचारी शामिल होंगे। स्वतंत्रता के बाद जनगणना का यह 16वां संस्करण नागरिकों को स्व-गणना का विकल्प भी प्रदान करेगा।
दस वर्ष के अंतराल में होने वाली यह कवायद 2021 में प्रस्तावित थी, लेकिन उस समय देश भर में कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जनगणना दो चरणों में होगी। पहला चरण अप्रैल से सितंबर, 2026 तक आवास सूचीकरण और आवास गणना के तौर पर होगा, जबकि दूसरा चरण फरवरी 2027 में जनसंख्या गणना के रूप में चलेगा। मंत्री ने कहा कि लद्दाख और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों के बर्फ से ढके गैर-समकालिक क्षेत्रों के लिए जनसंख्या गणना प्रक्रिया सितंबर, 2026 में आयोजित होगी।
वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा, ‘पहली बार डिजिटल जनगणना होगी।’ लगभग 30 लाख कर्मचारी घर-घर जाकर आवास सूचीकरण और आवास जनगणना और जनसंख्या गणना के लिए अलग प्रश्नावली का वितरण करेंगे। मंत्री ने कहा कि इससे 1.02 करोड़ मानव दिवसों का रोजगार सृजित होगा। वैष्णव ने कहा कि पूरी डिजिटल जनगणना प्रणाली में सभी व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा कानून लागू होगा। उन्होंने कहा, ‘जनगणना में प्रत्येक व्यक्ति और घर का छोटे से छोटा आंकड़ा जुटाया जाएगा। सभी व्यक्तिगत डेटा गोपनीय रखा जाएगा, जबकि जनगणना के व्यापक स्तर के डेटा को प्रकाशित किया जाएगा।’ सरकारी बयान में कहा गया है, ‘जनगणना के काम में लगे सभी कार्यकर्ताओं को उपयुक्त मानदेय दिया जाएगा, क्योंकि वे यह काम अपने नियमित कर्तव्यों के अलावा करेंगे।’ वैष्णव ने कहा कि जनगणना 2027 के पीई चरण में इलेक्ट्रॉनिक रूप से जाति का डेटा भी एकत्र करेगी।
पहली बार डिजिटल जनगणना में डेटा मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके एकत्र किया जाएगा जो एंड्रॉइड और आईओएस दोनों संस्करणों के लिए उपलब्ध होंगे।
वैष्णव ने कहा कि डेटा संग्रह के लिए मोबाइल ऐप और निगरानी उद्देश्यों के लिए केंद्रीय पोर्टल का उपयोग होगा। इन आंकड़ों को इस प्रकार सहेजा जाएगा कि नीति-निर्माण के लिए आवश्यक मापदंडों पर सभी प्रश्न एक बटन के क्लिक पर उपलब्ध हो जाएं।
बयान में कहा गया है कि स्थानीय स्तर पर लगभग 18,600 तकनीकी पेशेवरों को लगभग 550 दिनों के लिए तैनात जाएगा। इसका मतलब है कि लगभग 1.02 करोड़ मानव-दिवस का रोजगार सृजित होगा।
अंतिम व्यापक जाति-आधारित गणना अंग्रेजों द्वारा 1881 और 1931 के बीच की गई थी। स्वतंत्रता के बाद से आयोजित सभी जनगणना कार्यों से जाति को बाहर रखा गया था। आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल करने का निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा 30 अप्रैल को लिया गया था।