इस साल शाही लीची का स्वाद महंगा पड़ सकता है क्योंकि प्रतिकूल मौसम से इसका उत्पादन घटने की आशंका है। जिससे इसके दाम बढ़ सकते हैं। बिहार लीची का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। यहां के मुजफ्फरपुर की शाही लीची मशहूर है।
घटेगा लीची का उत्पादन
भारतीय लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि प्रतिकूल मौसम से लीची की फसल हो इस साल नुकसान हुआ है। इस साल अप्रैल में भी तेज गर्मी पड़ी थी। जिससे फल बनने में दिक्कत आई और यह फल गिरने लगा है।
इस साल बिहार में लीची उत्पादन आधे से भी कम होने की संभावना है। बिहार में 1.5 से 2 लाख टन लीची का उत्पादन हो सकता है। पिछले साल बिहार में लीची की पैदावार 3 लाख टन थी। बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक बिकास दास कहते हैं कि गर्मी ज्यादा पड़ने से सबसे ज्यादा नुकसान शाही लीची को हुआ है। बिहार में लीची का उत्पादन 30 फीसदी तक घट सकता है।
देश में पिछले साल करीब 7 लाख टन लीची का पैदा हुई थी। बिहार और झारखंड में पैदावार जरूर घटेगी, लेकिन पश्चिम बंगाल, पंजाब, छत्तीसगढ़, असम समेत लीची के अन्य उत्पादक राज्यों में इसकी फसल अच्छी है। इसलिए इस साल कुल पैदावार बहुत ज्यादा गिरने की संभावना नहीं है। फिर भी उत्पादन 10 फीसदी घट सकता है।
महंगी बिकेगी लीची
बच्चा प्रसाद कहते हैं कि अभी थोड़ी बहुत लीची की आवक शुरू हुई है। अच्छी गुणवत्ता की लीची आने में 4 से 5 दिन और लग सकते हैं। तभी लीची के दाम पता चलेंगे। पैदावार में कमी को देखते हुए किसानों को लीची के भाव 50 से 60 रुपये किलो मिलने की संभावना है। पिछले साल 50 रुपये किलो तक भाव मिले थे। दास ने कहा कि उत्पादन घटने से इस साल बिहार के किसानों को शाही लीची के अच्छे दाम मिलेंगे।
प्रसाद कहते हैं कि पैदावार में कमी से किसानों को लीची के दाम थोड़े ही ज्यादा मिलेंगे, लेकिन उपभोक्ताओं को लीची बहुत ज्यादा महंगी पड़ेगी क्योंकि बिचौलिये ज्यादा दाम वसूलेंगे। किसानों को जो ज्यादा दाम मिलेंगे, उसके बाद भी घाटा ही होगा। इसकी वजह उत्पादन कम होने से कुल कमाई घटना है। इस समय दिल्ली की आजादपुर मंडी में लीची 70 से 150 रुपये किलो बिक रही है। पिछले साल इन दिनो भाव 60 से 120 रुपये किलो थे।