Bamboo Farming: बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाने और मांग को पूरा करने के लिए बांस की खेती को सरकार प्रोत्साहित कर रही है। राज्य में अगले 5 वर्षों में 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बांस लगाने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए बांबू टास्क फोर्स का गठन किया गया है। बांस की खेती करने वाले किसानों को सरकार प्रति हेक्टेयर सात लाख रुपये तक की सब्सिडी भी दे रही है।
राज्य में बांस की खेती पर खास ध्यान देने के लिए गठित की गई बांबू टास्क फोर्स की पहली बैठक आयोजित की गई। राज्य में अधिक से अधिक बांस की खेती के लिए विभिन्न विभागों को आपसी समन्वय और टीम भावना के साथ प्रयत्न करने को कहा गया। क्योंकि पर्यावरण संवर्धन और किसानों की समृद्धि के लिए बांस की खेती उपयोगी सिद्ध होगी।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि पूरी दुनिया में प्रदूषण की समस्या बढ़ती ही जा रही है, जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली पीढ़ियों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो रहा है। पर्यावरण की रक्षा और ऊर्जा संकट से निपटने के लिए बांस की खेती एक महत्वपूर्ण विकल्प होगा। साथ ही बांस की बढ़ती मांग को देखते हुए किसान यदि बांस की खेती करें तो उन्हें भारी आर्थिक लाभ मिल सकेगा। हमने किसानों से बांबू क्लस्टर बनाने का आवाहन किया है।
किसानों को बांस की खेती के लिए प्रोत्साहित करना हमारी नीति है। इस नीति को सफल बनाने के लिए कृषि, वन, सामाजिक वनीकरण, पर्यावरण सहित सभी विभाग राज्य में बांस की खेती का क्षेत्र बढ़ाने के लिए सकारात्मक भाव से एक साथ मिलकर कार्य करें। इसके लिए आवश्यक धनराशि रोजगार गारंटी योजना विभाग द्वारा मनरेगा के माध्यम से उपलब्ध करायी जाएगी। अगर किसान बांस की खेती करते हैं, तो उन्हें प्रति हेक्टेयर 7 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।
राज्य कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष पाशा पटेल ने कहा कि राज्य में अगले 5 वर्षों में 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बांस लगाने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए बांबू टास्क फोर्स के माध्यम से काम जारी है। सरकार की योजना राज्य में शहरी वन स्थापित करने और प्रमुख राजमार्गों पर बांस लगाने की है । सरकार किसानों को बांस की खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है।
मुंबई में राजमार्गों और यहां तक कि पूर्वी और पश्चिमी एक्सप्रेसवे के किनारे भी बांस लगाए जाएंगे। भविष्य में बांस की मांग में भारी वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि इसका उपयोग एथेनॉल, बायोमास और यहां तक कि थर्मल संयंत्रों के उत्पादन के लिए भी किया जा सकता है। बांस के बागान गन्ने की तुलना में अधिक लाभदायक हो सकते हैं क्योंकि बांस का उपयोग विभिन्न प्रकार की दिलचस्प घरेलू वस्तुएं बनाने के लिए भी किया जा सकता है। बांस रोपण के लिए सब्सिडी से किसानों को अपनी वित्तीय स्थिति बढ़ाने में मदद मिलेगी और पर्यावरण की भी रक्षा होगी।