facebookmetapixel
HUL के शेयरों में उछाल, Q2 नतीजों के बाद 3% की तेजीAI क्रांति के बीच Meta ने 600 लोगों को नौकरी से निकाला, टॉप-लेवल हायरिंग पर फोकसDefence PSU के Q2 रिजल्ट की डेट घोषित! इस तारीख को हो सकता है डिविडेंड का बड़ा ऐलानग्रीन कार्ड होल्डर्स के लिए चेतावनी! लंबे समय तक विदेश में रहने पर हो सकता है प्रवेश रोकBPCL Q2 रिजल्ट की डेट तय! इस दिन हो सकता है डिविडेंड का बड़ा ऐलानRussian oil: अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद रूस से भारत की तेल सप्लाई लगभग बंद होने की संभावनाSwiggy Q2 रिजल्ट की डेट हुई घोषित! जानिए कब आएंगे कंपनी के तिमाही नतीजेASEAN Summit: पीएम मोदी नहीं जाएंगे मलेशिया, इस बार वर्चुअली ही होंगे शामिलभारत में Apple की बड़ी छलांग! 75 हजार करोड़ की कमाई, iPhone 17 बिक्री में चीन को भी पीछे छोड़ाInfosys buyback: नंदन नीलेकणी-सुधा मूर्ति ने ठुकराया इन्फोसिस का ₹18,000 करोड़ बायबैक ऑफर

विदेश में सराहना मगर घर में तकरार

पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ दुनिया भर में भेजे गए प्रतिनि​धिमंडलों के दौरे के समापन के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूरोपीय दौरे के साथ कमान संभाल ली है।

Last Updated- June 09, 2025 | 10:54 PM IST
S. Jaishankar

पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद सरकार ने एक उच्चस्तरीय कूटनीतिक अ​भियान के तहत दुनिया भर में बहुदलीय प्रतिनि​धिमंडल भेजकर भारत के रुख को स्पष्ट किया। रविवार को रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व वाले ग्रुप-2 के दो सप्ताह के यूरोप दौरे से लौटने के साथ ही इस अभियान का समापन हुआ। ग्रुप-2 भारत द्वारा दुनिया भर में भेजे गए 7 बहुदलीय प्रतिनि​धिमंडलों में शामिल था। पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के प्रायोजन को उजागर करने और भारत के दृष्टिकोण को दुनिया के सामने मजबूती से रखने के लिए इन प्रतिनि​धिमंडलों को कई देशों में भेजा गया था।

इन प्रतिनि​धिमंडलों में शामिल 50 से अधिक सांसदों, पूर्व राजनयिकों और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को ब्रसेल्स सहित 33 जगहों पर भेजा गया, जहां यूरोपीय संघ के कई संस्थान मौजूद हैं। ये प्रतिनि​धिमंडल अगले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जानकारी देंगे। ग्रुप-2 में भाजपा नेता डी. पुरंदेश्वरी और शिवसेना (यूबीटी) की प्रियंका चतुर्वेदी शामिल थीं। इसने फ्रांस, इटली, डेनमार्क, ब्रिटेन, बेल्जियम और जर्मनी का दौरा किया।

विदेश मंत्रालय द्वारा विदेश मंत्री एस. जयशंकर के आगामी यूरोपीय दौरे की घोषणा के साथ ही इस प्रतिनि​धिमंडल की वापसी हुई। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि जयशंकर अपनी यात्रा के पहले चरण में पेरिस और मार्सिले की यात्रा करेंगे। वह यूरोपीय संघ के अपने समकक्ष जीन नोएल बारोट के साथ बातचीत करेंगे और मार्सिले में मेडिटेरेनियन रायसीना डायलॉग के उद्घाटन कार्यक्रम में भाग लेंगे। जयशंकर ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के हाई रिप्रजेंटेटिव और उपराष्ट्रपति काजा कल्लास से मिलेंगे।

जयशंकर की यह यात्रा मई में नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी की उनकी हालिया यात्राओं के साथ-साथ विदेश सचिव विक्रम मिस्री की टोक्यो और वाशिंगटन डीसी में हुई बैठकों पर आधारित है।

चतुर्वेदी ने ग्रुप-2 की वापसी से पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि उनके प्रतिनिधिमंडल ने इस भावना के साथ अपना मिशन पूरा किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद के खिलाफ भारत की जवाबी कार्रवाई पर दुनिया को एक दमदार संदेश देने के लिए सभी को साथ रखने के लिए अपनी पार्टी के नेतृत्व के साथ-साथ सरकार को भी धन्यवाद दिया।

हालांकि इस अ​भियान का औपचारिक आकलन होना अभी बाकी है, लेकिन इसने विपक्ष के कई नेताओं की प्रोफाइल को निखारा है। कांग्रेस के शशि थरूर, सलमान खुर्शीद एवं मनीष तिवारी, एनसीपी (शरद पवार) की सुप्रिया सुले, डीएमके की कनिमोझी, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, भाजपा के बैजयंत पांडा और जद (यू) के संजय झा प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे हैं।
मगर बहुदलीय प्रतिनि​धिमंडलों की वापसी के साथ ही राजनीतिक उथल-पुथल दिखने लगी है।

ग्रुप-3 के के तहत जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया की यात्रा करने वाले खुर्शीद ने सार्वजनिक तौर पर पार्टी के भीतर किए जा रहे कटाक्षों पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘जब आप आतंकवाद के खिलाफ मिशन पर हों तो इस बात से परेशानी होती है कि आपके घर पर लोग राजनीतिक वफादारी की बात करें। क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है?’ उन्होंने जकार्ता में कहा कि कश्मीर में वर्षों से बड़ी समस्याएं थीं और मगर अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने से वे समस्याएं खत्म हो गई हैं।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, खुर्शीद अपने अनुभव के कारण ऑपरेशन सिंदूर के लिए मलेशियाई सरकार से भारत को स्पष्ट समर्थन दिलाने के लिए महत्त्वपूर्ण थे।

इस बीच, ग्रुप-5 का नेतृत्व कर रहे थरूर ने अमेरिका, गुयाना, पनामा, कोलंबिया और ब्राजील का दौरा किया और उन्हें भी आलोचना का सामना करना पड़ा। पार्टी नेता उदित राज ने उन पर ‘भाजपा के सुपर प्रवक्ता’ होने का आरोप लगाया। थरूर ने पलटवार करते हुए कहा कि राष्ट्रीय हित में काम करने को पक्षपातपूर्ण नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘हम एक संयुक्त भारत के प्रतिनिधि के रूप में यहां आए हैं।’ उन्होंने अपनी टीम की विविधता के बारे में भी बताया जिसमें पांच दलों, तीन धर्म और सात राज्य के प्रतिनिधि शामिल थे।

ग्रुप-7 का नेतृत्व कर रहीं सुप्रिया सुले ने कतर, दक्षिण अफ्रीका, इथियोपिया और मिस्र के दौरे से लौटने पर इसी भावना को दोहराया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, ‘मैं विदेश में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए एक विशेष संसद सत्र की मांग नहीं कर सकती थी।’ उन्होंने अपनी पार्टी से पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करने के लिए संसद का एक विशेष सत्र बुलाने से पहले प्रतिनिधिमंडलों के लौटने तक इंतजार करने का आग्रह किया था।

सुले ने कहा कि विदेश में उनका काफी स्वागत किया गया। उन्होंने कहा, ‘वे भारत को महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की भूमि मानते हैं।’ उनके प्रतिनिधिमंडल में मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, अनुराग ठाकुर और राजीव प्रताप रूडी शामिल थे।

कनिमोझी ने ग्रुप-6 का नेतृत्व किया और उनकी टीम रूस, स्लोवेनिया, ग्रीस, लातविया और स्पेन का दौरा किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया कि विदेश में उन्हें काफी सराहना मिली। ओवैसी को भी काफी सराहना मिली। उन्होंने भाजपा के पांडा के नेतृत्व वाले ग्रुप-1 के तहत खाड़ी और उत्तरी अफ्रीका की यात्रा की।

बहुदलीय प्रतिनि​धिमंडल में शामिल कई विपक्षी नेताओं का घरेलू स्तर पर अक्सर सरकार के साथ मतभेद दिखता रहा है। मगर प्रतिनि​धिमंडल में उनकी व्यापक भागीदारी ने न केवल उनकी अंतरराष्ट्रीय कद को बढ़ाया है बल्कि सत्ताधारी पार्टी के समर्थकों और जनता के बीच उनके प्रति धारणा को भी बदल दिया है। मगर इन बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों ने अपनी ही पार्टियों और खास तौर पर कांग्रेस के भीतर कुछ दरारें पैदा कर दी हैं।

संसद का मॉनसून सत्र आने वाला है। ऐसे में इस राजनीतिक पुनर्गठन की कुछ झलक सदन में भी दिख सकती है।

First Published - June 9, 2025 | 10:34 PM IST

संबंधित पोस्ट