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अमरावती का पुनर्निर्माण: बौद्ध संस्कृति से लेकर स्मार्ट सिटी तक, आंध्र प्रदेश की नई राजधानी को लेकर निवेशकों में होड़

इसी महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नई राजधानी शहर के शिलान्यास के लिए आमंत्रित किया गया है। स्थानीय लोगों एवं कारोबारियों के लिए उनकी उम्मीदों में एक नई जान आने वाली है।

Last Updated- April 13, 2025 | 11:06 PM IST
Buddha
प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pexels

आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित अमरावती में जश्न का माहौल है। विजयवाड़ा से आंध्र प्रदेश की इस प्रस्तावित नई राजधानी तक 20 किलोमीटर लंबी राह हरे-भरे पेड़ एवं खेतों में लहलहाती फसलों से लेकर दोबारा निर्माण कार्यों का स्वागत करने के लिए खड़ी इमारतें सभी एक ही बात की तरफ इशारा कर रहे हैं और वह है अमरावती 2.0 का आगाज। लगभग 2,300 वर्ष पुराने इस शहर के लिए यह पुनर्जन्म से कम नहीं है। एक वह समय भी था जब युवाजन श्रमिक रैयतु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के कार्यकाल में अमरावती को ‘भूतों का शहर’ कहा जाता था।

इसी महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नई राजधानी शहर के शिलान्यास के लिए आमंत्रित किया गया है। स्थानीय लोगों एवं कारोबारियों के लिए उनकी उम्मीदों में एक नई जान आने वाली है। जब पिछली वाई एस जगनमोहन रेड्डी सरकार ने तीन राजधानी सिद्धांत दिया था तो इन लोगों की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया था। पिछली सरकार ने तीन राजधानियों के सिद्धांत के तहत विशाखापत्तनम को कार्यपालिका राजधानी जबकि अमरावती और कुर्नूल को क्रमशः विधायिका और न्यायपालिका राजधानी बनाए जाने का प्रस्ताव दिया था। पिछले साल राज्य विधानसभा चुनाव तक सड़कों और आधी-अधूरी लंबी इमारतों पर उग आए जंगल और घास साफ हो चुके हैं। बेतरतीब दिख रही सड़कें अब दुरुस्त हो गई हैं और करीब 10 महीने पहले तक दिखने वाली सहायक सड़कें अब एक बार जीवंत हो उठी हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि अमरावती के विकास कार्यों के लिए अनुबंध पहले ही दिए जा चुके हैं। वर्ष 2024 में इन कार्यों पर 64,910 करोड़ रुपये लागत आने का अनुमान था। अधिकारी ने कहा, ‘प्रमुख बुनियादी ढांचा, बाढ़ नियंत्रण, आस-पड़ोस के क्षेत्र का बुनियादी ढांचा, सरकार कार्यालय, आवास एवं इमारत आदि के निर्माण के लिए 37,702 करोड़ रुपये के अनुबंध दिए जा चुके हैं और अब कार्य शुरू होने की तैयारी चल रही है।‘इन चाक-चौबंद तैयारियों के बीच स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई हैं। ऐसा हो भी क्यों न क्योंकि उनके सपने जो पूरे होने वाले हैं। अमरावती परीक्षण समिति संयुक्त कार्य समिति (जेएसी) के पी सुधाकर राव ने कहा, ‘पिछले चार वर्षों में 50,000 एकड़ का पूरा इलाका लगभग जंगल में तब्दील हो चुका था। मगर अब उम्मीदें दोबारा जग गई हैं और हम प्रधानमंत्री का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। हमारे लिए यह हर्ष-उल्लास का समय है। अमरावती आंध्र प्रदेश की तकदीर बदल देगा। काम शुरू करने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है और ठेकेदार इसके लिए कमर कस चुके हैं। हम नई राजधानी का काम दोबारा शुरू होने के दौरान बड़े निवेश की घोषणाएं होने की भी उम्मीद कर रहे हैं।‘

इस क्षेत्र में रियल एस्टेट क्षेत्र में अचानक खूब बढ़ गई है और कीमतें भी तेजी से बढ़ी हैं। राव ने कहा कि  वाईएसआरसीपी के शासनकाल में कीमतें 8,000-80,000 प्रति वर्ग गज थीं मगर अब वे बढ़कर 35,000-65,000 रुपये प्रति वर्ग गज तक पहुंच गई हैं।

सरकारी सूत्रों ने कहा कि परियोजनाओं के लिए रकम उपलब्ध कराई जा रही है और बाकी रकम के इंतजाम की तैयारी भी चल रही है। भारत सरकार ने अमरावती के लिए 15,000 करोड़ रुपये वित्तीय सहायता देने का वादा किया है। सरकार विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से 80 करोड़ डॉलर रकम भी उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी हैं (इसके लिए समझौतों पर हस्ताक्षर हो चुके थे और कुल 13,700 करोड़ रुपये में 25 प्रतिशत रकम मिलने ही वाली है)। हडको ने भी 11,000 करोड़ रुपये ऋण देने के लिए एक समझौता किया है और 5,000 करोड़ रुपये के लिए केएफडब्ल्यू के साथ बातचीत चल रही है। आंध्र प्रदेश चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री फेडेरेशन (एपी चैंबर्स) के महासचिव राज शेखर बहुदोदा कहते हैं, ‘अमरावती राज्य की आर्थिक वृद्धि का प्रमुख संकेतक बनने जा रहा है। बुनियादी ढांचा तैयार होने और सभी परियोजनाएं शुरू होने के बाद उद्योग भी विकसित होते देर नहीं लगेगी। सरकार उद्योग-धंधों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने कई नीतियों की घोषणाएं की हैं। यह जगह आने वाले समय में सभी प्रमुख आईटी और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस कंपनियों का बड़ा ठिकाना बनने जा रही है। स्टार्टअप इकाइयों को भी बहुत तवज्जो दी जा रही है जिससे आने वाले समय में अमरावती उनका भी एक बड़ा केंद्र बन सकता है।’

पिछले सप्ताह सिंगापुर सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल इस शहर के दौरे पर आया था और उसने वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान रुक गई इस कार्य में अपनी भागीदारी फिर सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया। वर्ष 2014 से 2019 के बीच सिंगापुर अमरावती नई राजधानी विकास परियोजना में प्रमुख साझेदार था। अमरावती में 130 सरकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यालयों को परिचालन शुरू करने के लिए जमीन पहले ही आवंटित कर दी गई थी।

इसके अलावा, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) से विकसित होने वाली परियोजनाएं भी आमंत्रित की गई हैं। समझौते के मसौदे पर हस्ताक्षर करने के लिए इन परियोजनाओं की समीक्षा भी हो रही है। एंकर निवेशक एवं अन्य संभावित निवेशकों के चयन पर सलाह देने के लिए मंत्रियों का समूह भी गठित किया गया है। पीपीपी सहित निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से एक सलाहकार कंपनी की भी मदद ली जा रही है। सरकार ने पहले ही कह रखा है कि अमरावती परियोजना तीन साल की अवधि में पूरी होनी है। वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक राम कृष्ण संगम कहते हैं, ‘राजनीतिक कारणों से अमरावती परियोजना के विकास में काफी देरी हुई है। चंद्रबाबू नायडू निवेशकों को आकर्षित करने के लिए खास तौर पर जाने जाते हैं और राजधानी शहर के इर्द-गिर्द भी कई निवेश हो रहे हैं। किसान भी लैंड पूलिंग मॉडल से खुश नजर आ रहे हैं। नायडू जब अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो माइक्रोसॉफ्ट सहित कई बड़ी वैश्विक कंपनियां आई थीं। अमरावती में भी यही ढांचा लागू करने की प्रक्रिया चल रही है। अब नायडू समय जाया नहीं करेंगे।‘

पूरे अमरावती में गतिविधियां तेज हो गई हैं और एक नया जोश दिख रहा है। नए सिरे से तैयार सड़कें, सुंदर उद्यान, प्रधानमंत्री मोदी, नायडू, उप-मुख्यमंत्री पवन कल्याण और मंत्री नारा लोकेश के बड़े कट-आउट सभी दर्शा रहे हैं कि बौद्ध संस्कृति से लेकर इक्ष्वाकु, पल्लव और चोल राजवंशों के गौरवशाली अतीत का गवाह रहा यह शहर एक और नई गाथा लिखने की तैयारी कर रहा है।

First Published - April 13, 2025 | 11:06 PM IST

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