अदाणी समूह ने एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) और गाजियाबाद में बिजली वितरण का लाइसेंस हासिल करने के लिए आवेदन किया है। पूर्व में अदाणी का नोएडा जिले के लिए लाइसेंस का आवेदन अस्वीकार हो चुका है। अदाणी समूह ने इन जिलों के लिए समानांतर विद्युत वितरण का लाइसेंस मांगा है। अब समूह ने अदाणी इलेक्ट्रिसिटी जेवर लिमिटेड और अदाणी ट्रांसमिशन लिमिटेड के जरिए विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 व 15 के तहत एक संशोधित याचिका दाखिल कर फिर से लाइसेंस की मांग की है।
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग 24 अप्रैल को अदाणी समूह की इस याचिका पर सुनवाई करेगा। अभी तक इस पूरे क्षेत्र में पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम और कुछ क्षेत्रों में नोएडा पावर कंपनी को लाइसेंस है। इससे पहले अदाणी समूह ने बीते साल दिसंबर में एक याचिका दाखिल कर नोएडा के लिए बिजली वितरण का लाइसेंस मांगा था जिसे अस्वीकार कर दिया गया था।
अदाणी समूह की याचिका का विरोध करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह से मुलाकात कर उसे भी सुनवाई में शामिल किए जाने की मांग की है। परिषद ने इसे निजीकरण का प्रयोग बताते हुए कहा कि इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि सोमवार को अदाणी समूह के समांतर विद्युत वितरण लाइसेंस के खिलाफ नियामक आयोग में याचिका दाखिल की जाएगी।
यह भी पढ़ें : Uttar Pradesh : राज्य में 519 औद्योगिक परियोजनाएं भूमि पूजन के लिए तैयार, जानिए डिटेल
उन्होंने कहा कि विद्युत वितरण का समांतर लाइसेंस प्राप्त होने के बाद प्रतिस्पर्धा कायम होगी और बिजली दरें कम होगी ऐसा बिल्कुल होता नहीं दिख रहा है। महाराष्ट्र राज्य जहां पर कई निजी घरानों को समांतर बिजली वितरण का लाइसेंस प्राप्त है जिसमें टाटा पावर, अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई व बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई लिमिटेड के पास लाइसेंस है। आज यदि उनकी घरेलू बिजली दरों की चर्चा करें तो सच सामने आ जाएगा कि आम जनता का क्या फायदा हो रहा है। मुंबई में अभी जल्द ही टैरिफ जारी हुआ है उसमें निजी घरानों की बिजली खासी महंगी है।