दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक मंगलवार को 421 पर रहा, जो खतरे के निशान के करीब है। पिछले कुछ वर्षों से जाड़े के मौसम में प्रदूषण का यही हाल रहा है और पिछले 4 साल से दिल्ली देश का सबसे प्रदूषित शहर बना हुआ है।
सिर्फ दिल्ली में यह हालत नहीं है। पड़ोस के नोएडा और गाजियाबाद, पूर्वी उत्तर प्रदेश के वाराणसी, राजस्थान के जोधपुर, पश्चिम बंगाल के हावड़ा और कोलकाता सबसे ज्यादा प्रदूषित 10 शहरों में हैं और इनकी हवा की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं है।
ऐसी हालत तब है, जब 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू किया गया है। केंद्र के एनसीएपी ट्रैकर की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना के तहत देश के 131 शहरों को करीब 6,897 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (एनएएमपी) के तहत पाया गया कि देश के 131 शहरों में 2011-15 के दौरान वायु की गुणवत्ता नैशनल एंबिएंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड (एनएएक्यूएस) को पूरा नहीं करती है। एनसीएपी के तहत इन शहरों के वायु प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए काम किया जा रहा है।
भारत में पीएम-2.5 (अल्ट्रा फाइन पार्टीकुलेट मैटर) और पीएम-10 की औसत सुरक्षित सीमा क्रमशः 40 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर और 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर है। एनसीएपी ने वायु के इन प्रमुख प्रदूषकों पीएम-10 और पीएम-2.5 की मात्रा इन शहरों में 2026 तक 40 प्रतिशत घटाने का लक्ष्य रखा है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) सरकारी निकाय है, जो प्रदूषण संबंधी आंकड़े एकत्र करता है और अपने पोर्टल पर इसे डालता है। साथ ही इसके लिए मानक भी तय करता है।
एनसीएपी ट्रैकर के आंकड़ों के मुताबिक सीपीसीबी पोर्टल पर सिर्फ 77 शहरों के आंकड़े उपलब्ध हैं। इन शहरों में दिल्ली 2022 में सबसे प्रदूषित शहर है, जिसका पीएम-2.5 का सालाना औसत कंसंट्रेशन 99.71 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर है। रिपोर्ट के मुताबिक पीएम-2.5 के स्तर में 2019 की तुलना में 7 प्रतिशत सुधार है।
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ट्रैकर के मुताबिक 2022 के शीर्ष 10 प्रदूषित शहरों में ज्यादातर गंगा के किनारे स्थित हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘इससे पता चलता है कि वास्तविक और दीर्घावधि समाधान की जरूरत है, जिससे कि दिल्ली से इतर शहरों में वायु प्रदूषण का बेहतर प्रबंधन किया जा सके। इससे यह भी पता चलता है कि स्रोत के स्तर पर प्रदूषण से निपटने की जरूरत है।’
इन शहरों में पीएम-2.5 और पीएम-10 का स्तर सीपीसीबी की सालाना औसत सुरक्षित सीमा से ऊपर है। इन शहरों में शुमार बिहार के 3 शहर पटना, मुजफ्फरपुर और गया पीएम-2.5 के मामले में शीर्ष 10 प्रदूषित शहरों में बने हुए हैं।