देश के प्रमुख भुगतान प्लेटफॉर्म यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से लेनदेन की संख्या पिछले साल की समान अवधि की तुलना में जुलाई 2024 में 45 फीसदी बढ़कर 14.44 अरब हो गई है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक इस महीने में लेनदेन का मूल्य भी पिछले साल से 35 फीसदी बढ़कर कुल 20.64 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
यह लगातार तीसरा महीना है, जब यूपीआई से लेनदेन का मूल्य 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। जून में 20.07 लाख करोड़ रुपये और मई में 20.44 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था। इसके साथ एनपीसीआई के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि जुलाई महीने में रोजाना लेनदेन की औसत संख्या 46.6 करोड़ और राशि 66,590 करोड़ रुपये रही है।
इसके पिछले यानी जून महीने की तुलना में यूपीआई से लेनदेन की मात्रा जुलाई में 3.95 फीसदी बढ़ी है, जबकि लेनदेन का मूल्य 2.84 फीसदी बढ़ा है। वित्त वर्ष 2025 में यूपीआई से 55.66 अरब लेनदेन हुआ, जिसका कुल मूल्य 80.79 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2024 में यूपीआई ने 100 अरब लेनदेन का आंकड़ा पहली बार पार किया था और साल के आखिर तक 131 अरब लेनदेन हुआ, जबकि वित्त वर्ष 2023 में 84 अरब लेनदेन हुआ था।
मुद्रा और वित्त पर हाल ही में जारी भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 4 साल में यूपीआई से लेनदेन की संख्या में 10 गुना वृद्धि हुई है और यह 2019-20 के 12.5 अरब से बढ़कर 2023-24 में 131 अरब हो गया है। यह सभी डिजिटल भुगतान की संख्या का 80 फीसदी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय यूपीआई से हर महीने करीब 14 अरब लेनदेन हो रहा है। जून 2024 में इसका इस्तेमाल करने वाले 42.4 करोड़ लोग थे।
यूपीआई लेनदेन में पीयर टु मर्चेंट(पी2एम) की संख्या पीयर टु पीयर (पी2पी) लेनदेन से अधिक होने और छोटे मूल्य के लेनदेन की बड़ी संख्या से इसके अधिक इस्तेमाल के संकेत मिलते हैं। हाल में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि यूपीआई ने खुदरा भुगतान के क्षेत्र में क्रांति ला दी है और इसने लेनदेन को तेज और ज्यादा सुविधाजनक बनाया है।