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स्थिर मुद्रा सीमा पार प्रवाह को बढ़ावा देती है, विदेशी रुपया पूल स्थापित करना जरूरी: जरीन दारूवाला

RBI के समय-समय पर हस्तक्षेप से वित्त वर्ष 2023-24 में हॉन्गकॉन्ग डॉलर और सिंगापुर डॉलर के बाद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया तीसरी सबसे स्थिर एशियाई मुद्रा रही।

Last Updated- August 31, 2024 | 12:04 AM IST
Establishing forex pool necessary to boost stablecoin range: CEO, Standard Chartered Bank स्थिर मुद्रा सीमा पार प्रवाह को बढ़ावा देती है, विदेशी रुपया पूल स्थापित करना जरूरी: CEO, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की भारत और द​क्षिण ए​शिया की सीईओ जरीन दारूवाला ने शुक्रवार को कहा है एक स्थिर विनिमय दर सीमा पार प्रवाह को बढ़ावा देकर अंतरराष्ट्रीयकरण को बढ़ाने में मदद करती है। ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में उन्होंने कहा, ‘सीमा पार प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए आपको काफी स्थिर मुद्रा की जरूरत है और हमने यह देखा है कि पिछले कुछ वर्षों में रुपया अपेक्षाकृत काफी स्थिर रहा है। अपेक्षाकृत स्थिर विनिमय दर अंतरराष्ट्रीकरण के लिए सक्षम बनाती है।’

भारतीय रिजर्व बैंक के समय-समय पर हस्तक्षेप से वित्त वर्ष 2023-24 में हॉन्गकॉन्ग डॉलर और सिंगापुर डॉलर के बाद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया तीसरी सबसे स्थिर एशियाई मुद्रा रही। वित्त वर्ष 2023 के 7.8 फीसदी के मुकाबले बीते वित्त वर्ष में रुपये में 1.5 फीसदी ही गिरावट आई।

इसके अलावा, कैलेंडर वर्ष 2023 में रुपये ने डॉलर के मुकाबले स्थिरता दिखाई और इसमें करीब तीन दशकों में सबसे कम अस्थिरता देखी गई। इस दौरान रुपये में डॉलर के मुकाबले 0.5 फीसदी की मामूली गिरावट दर्ज की गई। पिछली बार साल 1994 में रुपया ने इतनी स्थिरता दिखाई थी, तब भारतीय मुद्रा 0.4 फीसदी चढ़ी थी।

दारूवाला ने कहा कि रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए एक और बड़ा कारण गहरे वित्तीय बाजारों की उपस्थिति है, जो कुशल जोखिम बचाव एवं निवेश के जरिये अंतरराष्ट्रीय मुद्रा का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत का सरकारी प्रतिभूति बाजार बड़ा और तरल है, जो इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान करता है।

इसके अलावा, उन्होंने उल्लेख किया कि विदेशी रुपया पूल स्थापित करना जरूरी है, जो द्विपक्षीय लेनदेन सक्षम बनाने और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा व्यवस्था को सुविधाजनक करने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जेपी मॉर्गन बॉन्ड इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड के शामिल होने से रुपया रखने वाली अन्य अर्थव्यवस्थाओं के लिए निवेश के अवसर की जरूरत पूरी हो गई है। इससे यह भी सुनिश्चित हो गया है कि उनके पास अपनी होल्डिंग का उपयोग करने और बढ़ाने का मौका हो।

First Published - August 30, 2024 | 11:37 PM IST

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