आईएमएफ और सेंटर फॉर सोशल ऐंड इकनॉमिक फोरम द्वारा 19 जुलाई को आयोजित ‘क्लाइमेट इम्पलीकेशंस’ पर एक पैनल परिचर्चा के दौरान आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा कि सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड (एसआरजीबी) के निर्गम से अन्य फाइनैंशियल इंस्ट्रूमेंट्स के लिए कीमत निर्धारण आसान होगा और देश में पर्यावरण अनुकूल वित्त पोषण तंत्र को बढ़ावा मिलेगा।
राव ने कहा, ‘एसआरजीबी के निर्गम से अन्य वित्तीय विकल्पों के लिए कीमत तय करने में भी मदद मिलेगी और इससे देश में ग्रीन फाइनैंसिंग तंत्र के लिए बाजार विकसित करने की राह आसान होगी।’ राव ने कहा कि वैश्विक वित्तीय बाजारों में ईएसजी-केंद्रित फंडों का चलन बढ़ रहा है, क्योंकि संस्थागत निवेशक पारदर्शिता पर जोर दे रहे हैं और कंपनियों से तापमान संबंधित खुलासे मांग रहे हैं।
शुद्ध तौर पर शून्य लक्ष्य और पर्यावरण अनुकूल पहलों को बढ़ावा देने से ग्रीन बॉन्डों, क्लाइमेट फंडों और ब्लेंडेड फाइनैंस प्रणालियों में तेजी आई है, तापमान से जुड़ी परियोजनाओं में निजी निवेश आकर्षित हुआ है। हालांकि ‘ग्रीनवॉशिंग’ यानी भ्रामक जानकारी फैलने से जुड़ी चिंताएं बढ़ी हैं। इससे वास्तविक निरंतरता प्रयास सुनिश्चित करने के लिए आगामी नियामकीय दखल की जरूरत बढ़ी है।
राव ने कहा, ‘ग्रीन बॉन्ड, क्लाइमेट फंड और ब्लेंडेड फाइनैंस प्रणलियां तापमान संबंधित परियोजनाओं में निजी निवेश आकर्षित कर सकती हैं। हालांकि ये बदलाव भ्रामक जानकारियों को भी बढ़ावा दे सकते हैं, जिसके लिए भविष्य में यह सुनिश्चित करने के लिए नियामकीय हस्तक्षेप जरूरी हो सकता है कि जिसे ‘ग्रीन’ के तौर पर पेश किया जा रहा है, क्या वह वाकई में ‘ग्रीन’ है या नहीं।’ राव ने कहा कि आरबीआई ने ऋण पोर्टफोलियो के पर्यावरण संबंधित प्रभाव की जांच पर बैंकों को मार्गदर्शन जारी करने की योजना बनाई है।