पिछले कुछ समय से आभासी मुद्राएं यानी क्रिप्टोकरेंसी खासी चर्चा में हैं। चाहेे इनके नियमन का मसला हो या कराधान की बात हों, क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार, भारतीय रिजर्व बैंकऔर विशेषज्ञ लगातार कुछ न कुछ कह रहे हैं। मगर इसी बीच भारतीय निवेशकों के बीच इनकी लोकप्रियता और स्वीकार्यता भी बढ़ती जा रही है। परामर्श फर्म कंटार द्वारा कुछ समय पहले कराए गए एक सर्वेक्षण में पता चला कि हर छह में से एक शहरी भारतीय के पास क्रिप्टोकरेंसी हैं और 19 फीसदी अगले छह महीनों में इनमें निवेश करने की मंशा रखते हैं।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि अभी तक 1.5 करोड़ से अधिक भारतीय आभासी मुद्राओं से जुड़ी परिसंपत्तियों में रकम लगा चुके हैं। मगर निवेश करने वालों को जरूरत से ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में पिछले कुछ साल के दौरान जितना ज्यादा इजाफा हुआ है, उतना ही ज्यादा खतरा भी इन पर बढ़ गया है। ये मुद्राएं अब दुनिया भर के हैकरों और जालसाजों के निशाने पर आ गई हैं।
हॉट और कोल्ड वॉलेट
क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल वॉलेट में रखी जाती हैं। ये वॉलेट वेब आधारित भी हो सकते हैं और हार्डवेयर आधारित भी। वेब आधारित वॉलेट में क्रिप्टोकरेंसी ऑनलाइन रखी जाती हैं और हार्डवेयर आधारित वॉलेट उन्हें किसी ऐसे डिवाइस में रखते हैं, जो इंटरनेट से नहीं जुड़ा होता। ध्यान रहे कि इन वॉलेट के भीतर वास्तव में क्रिप्टोकरेंसी नहीं रखी जाती। इनमें क्रिप्टोकरेंसी का लेनदेन करने की कुंजी रखी रहती है।
क्रिप्टोकरेंसी और निजी कुंजियां रखने के लिए मुख्य तौर पर दो तरह के वॉलेट इस्तेमाल होते हैं – हॉट वॉलेट और कोल्ड वॉलेट।
हॉट वॉलेट हमेशा इंटरनेट से जुड़े रहते हैं। बिटबिन्स के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) गौरव दहके कहते हैं, ‘क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करने वाले को हॉट वॉलेट से टोकन भेजने और पाने जैसे बुनियादी लेनदेन करने में काफी आसानी हो जाती है।’ हॉट वॉलेट को भी तीन श्रेणियों में बांटा गया है, जो इस बात पर निर्भर करती हैं कि वॉलेट के लिए किस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये तीन श्रेणियां हैं – वेब वॉलेट, मोबाइल वॉलेट और डेस्कटॉप वॉलेट।
मुद्रेक्स के सीईओ और सह-संस्थापक एदुल पटेल कहते हैं, ‘चूंकि हॉट वॉलेट मोबाइल अथवा वेब पर आधारित होते हैं, इसलिए उनमें क्रिप्टोकरेंसी रखने के लिए किसी महंगे डिवाइस की जरूरत नहीं होती। इस वजह से वे काफी किफायती रहते हैं। मगर ये वॉलेट हर समय इंटरनेट से जुड़े रहते हैं, इसलिए इन्हें हैक किए जाने का खतरा बना रहता है।’
कोल्ड वॉलेट या हार्डवेयर वॉलेट वास्तव में ऑफलाइन वॉलेट होते हैं। ये वास्तविक स्टोरेज डिवाइस होते हैं, जिन्हें इस्तेमाल के समय लैपटॉप या डेस्कटॉप के साथ जोड़ा जाता है। दहके बताते हैं, ‘ये ज्यादा सुरक्षित होते हैं क्योंकि ये ऑफलाइन मोड में रहते हैं। हम बिटबिन्स हार्डवेयर कोल्ड वॉलेट देते हैं, जो मजबूत डेबिट कार्ड जैसे होते हैं। आप इन्हें अपने बटुए या जेब में डालकर कहीं भी ले जा सकते हैं।’
मगर कोल्ड वॉलेट में कुछ कमियां भी होती हैं। पटेल बताते हैं, ‘इन्हें इस्तेमाल करने में ज्यादा वक्त लग सकता है। साथ ही इनके लिए अलग से हार्डवेयर की जरूरत भी पड़ती है, जिसकी कीमत इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को ही चुकानी होती है।’ बहरहाल ये वॉलेट किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर काम कर सकते हैं चाहे मोबाइल हो, डेस्कटॉप हो या यूएसबी डिवाइस हो। इन्हें पाना भी मुश्किल नहीं है। बाजार से लेजर, ट्रेजर जैसे हार्डवेयर वॉलेट खरीदे जा सकते हैं।
मल्टी-सिग वॉलेट
हॉट वॉलेट और कोल्ट वॉलेट के अलावा वॉलेट की तीसरी श्रेणी भी होती है, जिसे मल्टी-सिग वॉलेट कहा जाता है। जेबपे के सह-मुख्य कार्य अधिकारी अविनाश शेखर इनके बारे में समझाते हुए कहते हैं, ‘आम क्रिप्टो वॉलेट में किसी भी समय सेंध लगाई जा सकती है। यदि कोई व्यक्ति अपने वॉलेट के सीड वर्ड (पिन की तरह) भूल जाए तो उसका हमेशा के लिए उस वॉलेट में बंद हो जाएगा। यहां मल्टी-सिग वॉलेट कारगर होते हैं क्योंकि वे एक से ज्यादा निजी कुंजियों से चलते हैं।’
ये वॉलेट बैंक के लॉकर की तरह होते हैं, जिसे खोलने के लिए एक से अधिक कुंजियों या चाबियों की जरूरत पड़ती है। मल्टी-सिग वॉलेट का इस्तेमाल करने वाले उसके इस्तेमाल की नीतियों को अपने हिसाब से बदल सकते हैं – जैसे तीन में से दो अकाउंट का साइन करना जरूरी है। शेखर कहते हैं, ‘वे सामान्य वॉलेट के मुकाबले बेहतर सुरक्षा मुहैया कराते हैं। लेकिन अगर साइन करने वालों में से कोई एक मौजूद नहीं है तो इन्हें खोला या इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।’
करेंसी अलग-अलग रखें
सबसे जरूरी होता है सही श्रेणी का वॉलेट चुनना। कॉइनस्विच कुबेर के सह-संस्थापक और सीईओ आशिष सिंघल सुझाव देते हैं, ‘आप जो भी क्रिप्टोकरेंसी खरीदें, उनका ज्यादातर हिस्सा कोल्ड वॉलेट में ही रखें। हॉट वॉलेट में उतनी करेंसी ही रखें, जितनी का आपको कारोबार करना है।’
कोल्ड वॉलेट आपकी क्रिप्टोकरेंसी को महफूज ही नहीं रखते बल्कि निवेशकों को करेंसी लंबे समय तक अपने पास बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं। इस तरह निवेशकों की संपत्ति बढ़ती जाती है। सिंघल समझाते हैं, ‘क्रिप्टोकरेंसी में दीर्घकालिक निवेश ही आपके सबसे अच्छा प्रतिफल दिलाता है और कोल्ड वॉलेट इसमें आपकी मदद करता है।’
वॉलेट चुनते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि आप क्रिप्टोकरेंसी के बारे में कितनी जानकारी रखते हैं। वजीरएक्स के संस्थापक और सीईओ निश्चल शेट्टी कहते हैं, ‘जो अभी निवेश शुरू कर रहे हैं और क्रिप्टो की पेचीदगियों से डर रहे हैं, उन्हें डेस्कटॉप या मोबाइल वॉलेट चुनना चाहिए। इन वॉलेट में एक्सचेंज बेहद सरल किस्म का यूजर इंटरफेस प्रदान करते हैं।’
जो बाकायदा ट्रेडिंग करते हैं, उन्हें आभासी मुद्रा की अच्छी खासी समझ होती है। शेट्टी कहते हैं, ‘वे भारी भरकम निवेश भी करते हैं, इसलिए उन्हें तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जरूरत होती है। ऐसे निवेशकों के लिए हार्डवेयर क्रिप्टो वॉलेट ज्यादा कारगर होते हैं।’
जिन्होंने क्रिप्टो में बहुत शुरुआत में ही निवेश आरंभ कर दिया हो, उनके लिए सुरक्षा के लिहाज से हाइब्रिड तरीका अच्छा है यानी उन्हें हॉट और कोल्ड दोनों तरह के वॉलेट का इस्तेमाल करना चाहिए।