RBI MPC Meet: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को कहा कि कुछ बैंक और गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां टॉप-अप ऋण नियमों का पालन नहीं कर रही हैं जिनका सीधा संबंध ऋण-मूल्य अनुपात और फंड के इस्तेमाल की निगरानी से है। हालांकि बैंक बढ़ते ऋण के जोखिम से बचने के इंतजाम में बढ़ोतरी के बावजूद, क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि में तेजी देखी जा रही है।
आरबीआई के गर्वनर शक्तिकांत दास ने सभी ऋणों में आवास ऋण या टॉप-अप आवास ऋण में तेजी को देखते हुए कहा कि कुछ बैंक ऋण-मूल्य अनुपात, जोखिम भार और फंडों के अंतिम इस्तेमाल की निगरानी सख्ती से नहीं कर रहे हैं। दास ने कहा, ‘ऋण में आवास ऋण की हिस्सेदारी, या टॉप-अप आवासीय ऋण तेज रफ्तार से बढ़ रहा है। बैंक और एनबीएफसी, गोल्ड लोन जैसे ऋणों पर भी टॉप-अप ऋण की पेशकश कर रहे हैं।’
दास ने कहा कि बैंकों और एनबीएफसी को यह सुझाव दिया जाता है कि वह इस प्रक्रिया की समीक्षा करें और इसके निदान के लिए कोई कदम उठाए। टॉप-अप ऋण ऐसा अतिरिक्त ऋण है, जिसे ग्राहक अपने मौजूदा निजी या आवास ऋण के ऊपर ले सकते हैं।
पिछले साल नवंबर में आरबीआई ने असुरक्षित ग्राहक ऋण और एनबीएफसी के बैंक ऋण पर ज्यादा ब्याज लिया। नतीजतन जहां जोखिम भार बढ़ाए गए थे उन क्षेत्रों में कुल ग्राहक ऋण वृद्धि नवंबर 2023 के 23.3 प्रतिशत से कम होकर जून 2024 में 13.9 फीसदी हो गई। इसके ही समानांतर एनबीएफसी का बैंक ऋण समान अवधि के दौरान 18.5 फीसदी से घटकर 8.2 फीसदी हो गया।
हालांकि ‘क्रेडिट कार्ड बकाया’ जैसे असुरक्षित निजी ऋणों की ऋण वृद्धि घट रही है लेकन यह नवंबर 2023 के 34.2 फीसदी की तुलना में जून 2024 में 23.3 फीसदी रही। दास ने कहा, ‘लोग सामान आदि की खरीदारी करने के लिए ज्यादा खुदरा ऋण ले रहे हैं जिसकी सख्त निगरानी करने की जरूरत है क्योंकि यह व्यापक स्तर की निगरानी के लिहाज से अहम है।’
बैंकरों का कहना है कि टॉप-अप ऋण का बारीकी से मूल्यांकन करने पर यह अंदाजा मिलेगा कि किस तरह के लोगों को घर खरीदने के लिए लिए गए पैसे पर भी इस तरह के ऋण दिए जा रहे हैं। सरकारी क्षेत्र के बैंक के एक अधिकारी ने कहा, ‘अन्य ऋणों में जिसमें मूलधन का बड़ा हिस्सा चुका दिया गया हो उसकी तुलना में हाल में घर खरीदने वाले कर्जदार जिन्हें टॉप-अप ऋण दिया गया है वे ज्यादा असुरक्षित हैं क्योंकि उनके ऋण में मूलधन का हिस्सा अधिक है जिसे चुकाने का दबाव अधिक होगा।’
वित्तीय सेवा शोध के प्रमुख प्रबंध निदेशक सुरेश गणपति का कहना है, ‘आरबीआई के बयान को देखते हुए हमारा मानना है कि प्रत्येक बैंक के परिसंपत्ति/देनदारियों से जुड़े इन क्षेत्रों/सेगमेंट के हिसाब से अलग तरीके का असर पड़ेगा। हालांकि बैंक अपने आवास ऋण या संपत्ति के एवज में ऋण (एलएपी) के सटीक अनुपात का खुलासा नहीं करते हैं लेकिन हमारा मानना है कि ज्यादातर बैंकों का एलएपी ऋण कुल आवास ऋण का करीब 15-20 प्रतिशत होगा।’
मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद संवाददाता सम्मेलन के दौरान दास ने कहा कि ऋण के ऊपर अतिरिक्त ऋण लेने संबंधी समस्या सभी जगह नहीं देखी जा रही है बल्कि कुछ बैंकों में यह रुझान देखा जा रहा है और आरबीआई इससे द्विपक्षीय तरीके से निपट रहा है। दास ने कहा, ‘यह समस्या कुछ बैंकों में देखी जा रही है और हम इसकी निगरानी कर रहे हैं।’