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समर्थन के लिए वित्तीय फर्में चुन रहा है सिडबी

Last Updated- December 21, 2022 | 11:59 PM IST
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भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) ने उन वित्तीय कंपनियों की पहचान शुरू कर दी है, जिन्हें वह सूक्ष्म उधारी के लिए समर्थन बढ़ाएगा। सिडबी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिव सुब्रमण्यन रमणन ने यह जानकारी दी है। बिजनेस स्टैंडर्ड के बीएफएसआई सम्मेलन में रमणन ने कहा कि लघु उद्योगों को कर्ज देने वाले सरकारी बैंक ने एक बार फिर यह देखना शुरू किया है कि सूक्ष्म वित्त संस्थानों में किस तरह से पूंजी लाई जाए।

सथ ही सिडबी की फंडों के फंड की गतिविधि में तमाम वेंचर कैपिटल और निजी इक्विटी फर्मों को पूंजी मुहैया कराती है। रमणन ने कहा, ‘निजी इक्विटी कारोबार के ऊपरी छोर पर काम करेगी, जहां विकास तेज है और तेजी से पैसा बनाया जा सकता है। सिडबी विकास के लिए प्रयासरत है।’ ,साथ ही सिडबी की ‘प्रयास’ योजना के तहत सूक्ष्म उधारी करीब 600 करोड़ रुपये है और इस योजना में 1,00,000 से 5,00,000 रुपये तक कर्ज मुहैया कराया जाता है। रमणन ने कहा कि उसकी 75 शाखाओं से उधारी नहीं दी जा सकती है, लेकिन छोटे कस्बों और गांवों में कर्ज देने के लिए एमएफआई, एनजीओ और बैंकिंग प्रतिधिनिधियों के साथ साझेदारी के माध्यम से उधारी दी जाएगी।

रमणन ने कहा, ‘हमें पूरी तरह डिजिटलीकृत प्लेटफॉर्म मिले हैं, जहां गलियों में मौजूद व्यक्ति टैब के साथ उपलब्ध हैं। उनके पास सभी आंकड़े हैं और वे हमें इसे भेजते हैं। हमारे पास सामान्य कारोबारी नियम हैं और मोटे तौर पर 48 घंटे के भीतर हम उन सूक्ष्म उद्यमों को उनके खाते में सीधे कर्ज देने में सक्षम होते हैं।’ उनका मानना है कि प्रयास के माध्यम से कर्ज की मात्रा बढ़ाने की व्यापक संभावनाएं हैं, क्योंकि यह अपने साझेदार संस्थाओं पर निर्भर है। सिडबी अपना धन इन्क्यूबेटर्स और एक्सेलरेटर्स में लगाने पर भी काम कर रहा है।

रमणन ने कहा कि सिडबी को नैशनल इनोवेशन फंड के साथ ज्यादा काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘हमने उनके साथ काम करना बंद कर दिया है। हमें इसे फिर से शुरू करने की जरूरत है। वहां अन्य कई लोग होंगे, जो कई छोटी परियोजनाओं में इक्विटी लाने में सक्षम होंगे।’ योजनाएं विफल होने से सिडबी चिंतित नहीं हो सकती है। रमणन ने कहा कि अगर 1,000 कंपनियों में धन डाला जाता है और केवल 50 काम करती हैं तो उसके पैसे वापस मिल जाते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि सिडबी ने विश्व बैंक की ऊर्जा कुशलता योजना के तहत पिछले 5 साल में करीब 300 इकाइयों का वित्तपोषण किया है। उन्होंने कहा, ‘हमने करीब 3 लाख टन सीओ2 उत्सर्जन घटाया है। हमने विश्व संगठनों के साथ सफल साझेदारी की है। हम विश्व बैंक के साथ सोलर रूफटॉप योजना में आगे बढ़ रहे हैं। हम 1,000 एमएसएमई में 1,000 सोलर रूफटॉप स्थापित करेंगे।’

उन्होंने कहा कि एमएसएमई 1 करोड़ रुपये से 2.5 करोड़ रुपये तक निवेश के साथ सोलर रूफटॉप हासिल कर सकते हैं, जिससे उनकी बिजली की सभी जरूरतें पूरी हो जाएंगी और 36 से 42 महीने के भीतर उनकी पूंजी निकल आएगी और संयंत्र 15 साल और चलेंगे।
रमणन ने कहा कि हम ऊर्जा कुशल सौर पैनल, रूफटॉप सौर पैनल के दौर में प्रवेश कर रहे हैं। ये बिजली के विकल्प हैं, जो किसी भी कारोबार का आधार है।

First Published - December 21, 2022 | 11:56 PM IST

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