साल 2016 में नोटबंदी के बाद से देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन तेजी से बढ़ा है। लोग अब कैश की बजाय UPI के जरिए पेमेंट को तरजीह दे रहे हैं। फिर चाहे फल-सब्जी हो या टेंपो का किराया हर चीज एक क्लिक पर अदा की जा रही है। इन सभी चीजों का असर ATM के इस्तेमाल पर पड़ा है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की इकॉनमिक रिसर्च रिपोर्ट Ecowrap में बताया गया है कि अब लोग साल में औसतन 8 बार ही ATM जा रहे हैं। पहले औसतन जाना 16 बार होता था। यह डेटा अप्रैल 2016 से अप्रैल 2023 के बीच लोगों की एक्टिविटी देखकर तैयार किया गया है।
रिसर्च में बताया गया है कि ATM से 2018 नवंबर के बाद कैश विदड्रॉल (पैसे निकालना) भी कम हुआ है और इसकी वजह लोगों का UPI ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना है।
ERD रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण और कस्बों में UPI के माध्यम से करीब 60 फीसदी पेमेंट किया जा रहा है। इस तरह से इस धारणा को पूरी तरह से तोड़ा जा रहा है जिसमें कहा जाता है कि मेट्रो/शहरों में ही डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल हो रहा है।
ERD के विश्लेषण से पता चलता है कि UPI लेनदेन का वॉल्यूम वित्त वर्ष 17 में 1.8 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 23 में 8,375 करोड़ हो गया है।