सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 47 पैसे लुढ़ककर 85.86 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा ब्रिक्स नीतियों से जुड़े देशों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क की घोषणा करने की वजह से रुपये में गिरावट आई है, जिसे उन्होंने अमेरिका विरोधी बताया है।
दिन के दौरान भारतीय मुद्रा 86 प्रति डॉलर के आंकड़े को तोड़ते हुए 86.03 प्रति डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच गई। डीलरों के मुताबिक रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर बेचकर हस्तक्षेप करने के कारण बाद में गिरावट थमी। व्यापार नीति को लेकर बढ़ती अनिश्चितता के बीच डॉलर मजबूत होने के कारण रुपये पर दबाव बढ़ा। अमेरिका ने 90 दिन के लिए शुल्क स्थगित किया था, जिसकी अवधि बुधवार को खत्म हो रही है। अब तक किसी औपचारिक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं, जिसके कारण बाजार हिस्सेदार सावधानी बरत रहे हैं। डीलरों ने कहा कि भविष्य में व्यापार की व्यवस्था को लेकर स्पष्टता न होने से निवेशकों ने जोखिम लेने से बचने की कवायद की और इसके कारण रुपये में गिरावट आई। इसके साथ ही बड़े निजी बैंकों की ओर से डॉलर की मजबूत मांग के कारण स्थानीय मुद्रा पर दबाव और बढ़ गया।
डीलरों ने कहा कि रुपया गिरकर 85.80 प्रति डॉलर के स्तर पर आ गया, जिसकी वजह से स्टॉप-लॉस ऑर्डर हुए, जिससे आगे और गिरावट आई। व्यापार के मोर्चे पर कोई सकारात्मक प्रगति न होने के कारण बाजार हिस्सेदारों ने आगे रुपया और कमजोर होने का अनुमान लगाया है, जो निकट भविष्य के हिसाब से 86.50 प्रति डॉलर पर पहुंच सकता है।
डॉलर सूचकांक 97.36 पर कारोबार कर रहा था, जो इसके पहले दिन 96.95 पर था। इससे 6 प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की ताकत का पता चलता है। एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘डॉलर मजबूत हुआ है और बाजार में आवक की कमी रही। रिजर्व बैंक ने 86 के स्तर पर हस्तक्षेप किया।’ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से घोषणा की कि प्रस्तावित शुल्क में कोई कमी नहीं की जाएगी। इस घोषणा से वैश्विक व्यापार की गति में नई अनिश्चितता पैदा हो गई है। भारत जैसे उभरते बाजारों को निवेशकों की निराशा के कारण नुकसान हो रहा है।
उतार-चढ़ाव को देखते हुए रिजर्व बैंक नजर बनाए हुए है। वैश्विक व्यापार की हलचलों के कारण अगर दबाव बना रहता है तो रुपये तो स्थिर रखने के लिए रिजर्व बैंक फिर हस्तक्षेप कर सकता है। सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘अगर समझौता नहीं होता है तो रुपया 86.50 प्रति डॉलर के स्तर पर जा सकता है। गिरावट पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक मौजूद होगा।’
इस बीच 10 साल के 2035 बॉन्ड को अब द्वितीयक बाजार में पर्याप्त लिक्विडिटी प्राप्त हो गई है, जिससे इसे नए बेंचमार्क सरकारी प्रतिभूति के रूप में व्यापक रूप से मान्यता मिल गई है। इसने पहले के 6.79 प्रतिशत 2034 बॉन्ड का स्थान ले लिया है। हालांकि 2035 बॉन्ड की सुस्त शुरुआत रही है। आंशिक रूप से कुछ नीलामियों के कारण ऐसा हुआ, लेकिन इसकी तरलता में तेजी से सुधार हुआ। बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड 6.29 पर बंद हुआ, जबकि इसके पहले 6.30 पर बंद हुआ था।