भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को 2,069 करोड़ रुपये के सरकारी बॉन्डों की पुनर्खरीद की है, जबकि अधिसूचित राशि 60,000 करोड़ रुपये थी। बाजार से जुड़े हिस्सेदारों ने कहा कि बैंकों ने घाटे पर प्रतिभूतियां बेचने से इनकार कर दिया, जिसके कारण खरीद कम हुई।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘ज्यादातर प्रतिभूतियां कोविड के दौरान ज्यादा मूल्य पर खरीदी गईं और रिजर्व बैंक उस स्तर पर भुगतान करने को तैयार नहीं था। यही वजह है कि उन्होंने छोटी राशि की खरीदारी की।’
बाईबैक के लिए 6.18 प्रतिशत जीएस 2024, 9.15 प्रतिशत जीएस 2024, 6.89 प्रतिशत जीएस 2025 प्रतिभूतियां चिह्नित की गई हैं, जो क्रमशः 4 नवंबर, 14 नवंबर और 16 जनवरी को परिपक्व हो रही हैं।
6.18 प्रतिशत जीएस प्रतिभूतियों के लिए कुल 26,877.161 करोड़ रुपये की पेशकश मिलने के बावजूद रिजर्व बैंक ने केवल 552.999 करोड़ रुपये की 6 बोलियां स्वीकार की, जिसकी कट ऑफ प्राइस 99.61 रुपये थी। इसी तरह से 9.15 प्रतिशत जीएस के लिए उसने कुल 6,479.791 करोड़ रुपये की 12 पेशकश में से 1,513 करोड़ रुपये की दो बोलियां स्वीकार की।
वहीं 6.89 प्रतिशत जीएस 2025 की 7,238.497 करोड़ रुपये की 27 पेशकश में से रिजर्व बैंक ने 99.86 रुपये कट आफ प्राइस पर 4 करोड़ रुपये की एक बोली स्वीकार की।
यह बाईबैक 9 मई की पहले की नीलामी के बाद की गई, जब रिजर्व बैंक ने 10,512.993 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां खरीदी थीं, जो घोषित 40,000 करोड़ रुपये की तुलना में उल्लेखनीय रूप से कम है।