धंधा है पर मंदा है। उत्तर प्रदेश में रियल एस्टेट के बाजार में पिछले साल आई तेजी की चमक फीकी पड़ती दिख रही है।
मायावती सरकार के आते ही प्रदेश भर में इंटीग्रेटेड टाउनशिप और हाइटेक सिटी बनाने की जो होड़ सी लग गयी थी, वह रफ्तार धीमी पड़ रही है। हालांकि प्रॉपर्टी की कीमतों मे गिरावट तो खास नहीं दिख रही है, पर हां तेजी का दौर थम सा गया है।
अकेले राजधानी लखनऊ में चल रही एक दर्जन से ज्यादा परियोजनाओं मे सुस्ती दिख रही है। बाकी शहरों की हालत भी कुछ खास अच्छी नहीं है। राजधानी के सबसे पॉश इलाके गोमतीनगर में भी बीते 3 महीनों से जमीन की कीमतें स्थिर हैं जबकि नयी परियोजनाएं लाने वाले भी अब मनमानी कीमत नहीं वसूल कर पा रहे हैं।
राजधानी में सबसे तेजी से विकसित हो रही अंसल सुशांत गोल्फ सिटी में भी पिछले 3 महीनों से जमीन की दरें स्थिर हैं। अंसल के कार्यपालक निदेशक पी एन मिश्रा भी कहते हैं कि रियल एस्टेट में मंदी का दौर आ रहा है पर वह साथ में यह भी कहते हैं कि निवेशकों के लिए फिर भी यह घाटे का सौदा नहीं होगा।
अन्य शहरों के मुकाबले लखनऊ में वास्तविक उपभोक्ता मकान और जमीन खरीदता है इसीलिए वह मंदी की मार से बचा रहेगा। लखनऊ जैसे शहर में अगर दाम ऊपर नहीं जाएंगे तो उनके नीचे आने की भी कोई संभावना नहीं दिखती है। गौरतलब है कि अंसल लखनऊ में 2000 एकड़ जमीन पर अपनी हाइटेक सिटी बना रहा है। कभी 2900 रुपये प्रति गज की दर से बिकी इस परियोजना में जमीन की कीमत अब 7000 रुपये के आसपास चल रही हैं।
अंसल के अलावा लखनऊ में ओमेक्स, एल्डिको और एम जी एफ जैसी कंपनियां भी इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित कर रही हैं। लखनऊ-सुल्तानपुर रोड पर विकसित हो रही इन परियोजनाओं में भूखंड 4800 रुपये से लेकर 5600 रुपये प्रति गज की दर पर मिल रहे हैं। लखनऊ के अलावा प्रदेश के अन्य बड़े शहरों जैसे वाराणसी में जमीन की कीमत 4500 रुपये प्रति गज, इलाहाबाद में नैनी में 7000 से लेकर 7300 रुपये प्रति गज और आगरा में ताज एक्सप्रेस वे के करीब 6000 से लेकर 7000 रुपये प्रति गज तक मिल रही हैं।
अर्थशास्त्री ए पी तिवारी का मानना है कि प्रॉपर्टी की दर फिलहाल इन्हीं दरों पर स्थिर रहेगी और इनमे कोई उछाल की संभावना नही है। तिवारी का मानना है कि जमीन की दरों में गिरावट नहीं बल्कि सुधार संभव है जो महज कुछ सौ रुपये का हो सकता है। टाउनशिप की परियोजनाओं के विकास की गति रुकने से अंसल के पी एन मिश्रा भी इनकार करते हैं। उनका कहना है कि छोटे बिल्डर जरुर खरीदारों की उदासीनता के चलते कुछ समय अधिक लगा सकते हैं।
आखिरकार हर आदमी के लिए मकान और जमीन जिंदगी भर का सौदा है जिसे करते समय पूंजी की उपलब्धता को ध्यान में रखा जाता है। खरीदारों की माने तो उत्तर प्रदेश में बीते कुछ सालों में प्रॉपर्टी की कीमतों में अस्वाभाविक तेजी थी, जो अब जाकर थमती दिख रही है। खुद के लिए आशियाने की तलाश में 2 साल से जुटे अमित सिंह का कहना है कि मझोले खरीदारों के लिए अब छत तलाशने का सही समय आ गया है।
भाव प्रति गज
लखनऊ
गोमतीनगर 12500-32000
सुल्तानपुर रोड 4800-7000
वाराणसी 4500
इलाहाबाद
सिविल लाइंस 45000-55000
नैनी, फाफामउ 7000-7300
आगरा
ताज एक्सप्रेसवे 6000-7000