भारतीय रिजर्व बैंक ने आज हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों (एचएफसी) द्वारा आम जनता से सार्वजनिक जमा लेने से संबंधित नियमों को सख्त कर दिया, जो अब तक गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) की तुलना में थोड़े सरल नियमों के अधीन थीं।
संशोधित दिशानिर्देश के मुताबिक रिजर्व बैंक ने आवास ऋण देने वाली उन कंपनियों द्वारा ली जाने वाली सार्वजनिक जमा राशि की सीमा घटा दी है जो सभी मानकों और न्यूनतम निवेश श्रेणी की क्रेडिट रेटिंग का अनुपालन करती हैं। अब इन कंपनियों के लिए सार्वजनिक मौजूदा जमा राशि की सीमा को मौजूदा 3 गुना से घटाकर इसके शुद्ध स्वामित्व वाले फंड (एनओएफ) का 1.5 गुना कर दिया गया है।
ऐसे में अब जमा लेने वाली हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां संशोधित सीमा से अधिक जमाएं नहीं ले सकती हैं और वे कोई ताजा सार्वजनिक जमा राशि स्वीकार भी नहीं कर पाएंगी और संशोधित सीमा के भीतर जमाओं की पुष्टि किए गए बगैर मौजूदा जमाओं का नवीकरण भी नहीं कर पाएंगी। हालांकि आरबीआई का कहना है कि पहले से मौजूद अतिरिक्त जमा राशि परिपक्वता अवधि तक बरकरार रखी जाएंगी।
आरबीआई का कहना है कि एनबीएफसी और आवास वित्त कंपनियों के दिशानिर्देशों में सामंजस्य बनाने के लिए नियमों में संशोधन किए गए हैं। देश में 97 आवास वित्त कंपनियां हैं जबकि आवास वित्त कंपनियों सहित जमा लेने वाले एनबीएफसी की तादाद महज 26 है। नैशनल हाउसिंग बैंक के वेबसाइट के मुताबिक जमा लेने वाली 9 हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां हैं।
मार्च 2023 के अंत तक जमा लेने वाले एनबीएफसी की हिस्सेदारी, एनबीएफसी की कुल परिसंपत्ति में 14.6 फीसदी थी। एलआईसी हाउसिंग फाइनैंस, पीएनबी हाउसिंग फाइनैंस, कैन फिन होम्स, सुंदरम हाउसिंग फाइनैंस, जमाएं लेने वाली आवास वित्त कंपनियां हैं।
इसके अलावा आरबीआई ने जमा लेने वाली आवास वित्त कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि वे जनता की जमाओं के एवज में मौजूदा 13 प्रतिशत की नकदी परिसंपत्ति का प्रबंधन करने के बजाय चरणबद्ध तरीके से जमा राशि के 15 फीसदी तक की नकद परिसंपत्ति का इंतजाम करें।
इसके मुताबिक ही 1 जनवरी, 2025 तक इन आवास वित्त कंपनियों को कुल नकदी परिसंपत्ति का 14 प्रतिशत तक बनाए रखना होगा जिसमें सार्वजनिक जमा के प्रतिशत के रूप में रखी जाने वाली ऋण मुक्त और देनदारी मुक्त स्वीकृत प्रतिभूतियां हैं। जुलाई 2025 तक आवास वित्त कंपनियों को सार्वजनिक जमाओं के प्रतिशत के रूप में कुल 15 प्रतिशत नकद परिसंपत्ति का प्रबंध करना होगा।
आरबीआई ने कहा है कि आवास वित्त कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके द्वारा रखी गई सार्वजनिक जमाओं के लिए हर समय पूर्ण परिसंपत्ति कवर उपलब्ध हो। अगर संपत्ति कवर जनता की जमा राशि की देनदारी की तुलना में कम है तब इन कंपनियों को राष्ट्रीय आवास बैंक को सूचित करना होगा।
आरबीआई ने कहा कि जनता की जमा राशि रखने और उसका नवीनीकरण करने वाले एचएफसी को इसका दोबारा भुगतान 12 महीने या इससे अधिक अवधि के बाद करना होगा लेकिन यह अवधि 60 महीने से अधिक नहीं होनी चाहिए। लेकिन मौजूदा जमाएं जिनकी परिपक्वता अवधि 60 महीने से अधिक है उसका भुगतान उनके मौजूदा पुनर्भुगतान प्रोफाइल के मुताबिक किया जा सकता है।
फिलहाल एचएफसी को सार्वजनिक जमा राशि लेने या उसका नवीकरण करने की तारीख से 12 महीने की अवधि के बाद या 120 महीने की अधिकतम अवधि के भीतर भुगतान वाली जमा राशि स्वीकार करने या उसका नवीकरण करने की अनुमति है।