facebookmetapixel
रेल मंत्रालय का बड़ा कदम: NMP 2.0 में मुद्रीकरण से 2.5 लाख करोड़ जुटाएगा रेलवे4 नए लेबर कोड आज से लागू: कामगारों को मिलेगी सामाजिक सुरक्षा, मौजूदा श्रम कानून बनेंगे सरलरुपये में तेज गिरावट: डॉलर के मुकाबले 89.5 के पार, बॉन्ड यील्ड में उछालसेबी बड़े सुधारों की तैयारी में: ब्रोकर और म्युचुअल फंड नियमों में बदलाव संभव, नकदी खंड में कारोबार बढ़ाने पर जोरभारतीय क्रिकेट टीम का स्पॉन्सर बनकर अपोलो टायर्स को डबल डिजिट में ग्रोथ की आस: नीरज कंवर2025-26 में रियल एस्टेट में हर साल आएगा 5–7 अरब डॉलर संस्थागत निवेश!भारत-इजरायल स्टार्टअप सहयोग होगा तेज, साइबर सुरक्षा और मेडिकल टेक में नई साझेदारी पर चर्चासुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: ITAT में CA और वकील को अब समान पात्रता मानदंडनई दवाओं पर 10 साल की एक्सक्लूसिविटी की मांग, OPPI ने कहा- इनोवेशन बढ़ाने को मजबूत नीति जरूरीइन्फ्रा और ऊर्जा क्षेत्र के दिग्गजों संग सीतारमण की बजट पूर्व बैठक में अहम सुझावों पर चर्चा

शहरी सहकारी बैंकों पर विलय के लिए दबाव नहीं डालेगा आरबीआई

मराठे ने महाराष्ट्र आर्थिक विकास परिषद में शहरी सहकारी बैंकों के वित्तीय रूप से मजबूत होने और सही ढंग से प्रबंधित बैंक होने के लिए सही रणनीति अपनाने की जरूरत पर प्रकाश डाला।

Last Updated- June 14, 2024 | 11:25 PM IST
RBI

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) शहरी सहकारी बैंकों के विलय के लिए दबाव नहीं डालेगा। आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य व सहकार भारती के संस्थापक सदस्य सतीश मराठे ने यह बात कही।

मराठे ने कहा, ‘आरबीआई शहरी सहकारी बैंकों का जबरन विलय करने नहीं जा रहा। रिजर्व बैंक विलय के लिए कहेगा। यह उसकी नीति नहीं है। ऐसा नहीं होने वाला है।’

मराठे ने महाराष्ट्र आर्थिक विकास परिषद (एमईडीसी) में शहरी सहकारी बैंकों के वित्तीय रूप से मजबूत होने और सही ढंग से प्रबंधित बैंक होने के लिए सही रणनीति अपनाने की जरूरत पर प्रकाश डाला।

मराठे ने कहा, ‘अभी शहरी सहकारी बैंक मुख्य धारा के बैंकों और वित्तीय तंत्र से पूरी तरह जुड़े हुए हैं। लिहाजा न ही सरकार और न ही नियामक किसी भी समय यह चाहेंगे कि इस वित्तीय तंत्र का कोई खंड कमजोर हो। कोई भी खंड कमजोर होने से बाधा खड़ी हो सकती है। इसलिए शहरी सहकारी बैंक क्षेत्र के लिए यह जरूरी है कि वे नियामक के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए अपनी कार्यप्रणाली को मजबूत करें।’

उनके अनुसार शहरी सहकारी बैंक ऐतिहासिक रूप से कम व मध्यम आय समूह, छोटे कारोबारियों और स्वरोजगार श्रेणी की वित्तीय जरूरतों को पूरा करते हैं। हालांकि ये गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) और घाटे का आकार व जोखिम बढ़ने के कारण दबाव में आ गए हैं।

First Published - June 14, 2024 | 11:03 PM IST

संबंधित पोस्ट