भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) शहरी सहकारी बैंकों के विलय के लिए दबाव नहीं डालेगा। आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य व सहकार भारती के संस्थापक सदस्य सतीश मराठे ने यह बात कही।
मराठे ने कहा, ‘आरबीआई शहरी सहकारी बैंकों का जबरन विलय करने नहीं जा रहा। रिजर्व बैंक विलय के लिए कहेगा। यह उसकी नीति नहीं है। ऐसा नहीं होने वाला है।’
मराठे ने महाराष्ट्र आर्थिक विकास परिषद (एमईडीसी) में शहरी सहकारी बैंकों के वित्तीय रूप से मजबूत होने और सही ढंग से प्रबंधित बैंक होने के लिए सही रणनीति अपनाने की जरूरत पर प्रकाश डाला।
मराठे ने कहा, ‘अभी शहरी सहकारी बैंक मुख्य धारा के बैंकों और वित्तीय तंत्र से पूरी तरह जुड़े हुए हैं। लिहाजा न ही सरकार और न ही नियामक किसी भी समय यह चाहेंगे कि इस वित्तीय तंत्र का कोई खंड कमजोर हो। कोई भी खंड कमजोर होने से बाधा खड़ी हो सकती है। इसलिए शहरी सहकारी बैंक क्षेत्र के लिए यह जरूरी है कि वे नियामक के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए अपनी कार्यप्रणाली को मजबूत करें।’
उनके अनुसार शहरी सहकारी बैंक ऐतिहासिक रूप से कम व मध्यम आय समूह, छोटे कारोबारियों और स्वरोजगार श्रेणी की वित्तीय जरूरतों को पूरा करते हैं। हालांकि ये गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) और घाटे का आकार व जोखिम बढ़ने के कारण दबाव में आ गए हैं।