भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वेब एग्रीगेटर्स ऑफ लोन प्रोडक्ट्स (डब्ल्यूएएलपी) के लिए मजबूत नियामकीय ढांचा बनाएगा, जिससे कि इस व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ाई जा सके। यह निर्णय उधारी सेवा प्रदाताओं (एलएसपी) द्वारा लोन एग्रीगेशन सेवाओं को एक व्यापक ढांचे के दायरे में लाने के लिए कार्य समूह की सिफारिशों पर आधारित है।
मौद्रिक नीतिगत बैठक के बाद RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने गलत तरीके से बिक्री के कुछ मामलों पर ध्यान दिया है और यह ढांचा ऐसे उत्पादों की गलत जानकारी देकर बिक्री को रोकने में मदद करेगा।
शक्तिकांत दास ने कहा, ‘वेब एग्रीगेटरों के लिए एक निष्पक्ष प्लेटफॉर्म होना चाहिए। उन्हें किसी खास ऋण योजना की मिस-सेलिंग यानी गलत जानकारी देकर बिक्री नहीं करनी चाहिए।
इस संदर्भ में कुछ मामले हमारी नजर में आए हैं, इसलिए हम इस व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ऐसी आशंका नहीं होनी चाहिए जो उधारकर्ताओं के खरीदारी निर्णय को प्रभावित करती हो।’
10 अगस्त, 2022 को जारी RBI की विज्ञप्ति के अनुसार, जयंत कुमार दास की अध्यक्षता में डिजिटल उधारी पर कार्य समूह ने डब्ल्यूएएलपी के लिए नियामकीय ढांचा बनाने का सुझाव दिया था।
RBI ने अगस्त/सितंबर 2022 में डिजिटल उधारी के लिए नियामकीय ढांचा पेश किया था। डिजिटल उधारी तंत्र में ऐसी सेवाएं शामिल हैं जो ऋणदाताओं से ऋण पेशकशें ग्राहकों की जानकारी के लिए एकत्रित करती हैं, जिसे ऋणों का वेब-एग्रीगेशन कहा जाता है।
एग्रीगेटरों का कहना है कि इस कदम से गैर-पारदर्शिता वाली कंपनियों को दूर रखने और उधारी व्यवस्था सुधारने में मदद मिलेगी।
बैंकबाजार डॉटकॉम के मुख्य कार्याधिकारी आदिल शेट्टी ने कहा, ‘हमारा मानना है कि यह पिछले अगस्त में जारी डिजिटल उधारी संबंधित दिशा-निर्देशों का अगला कदम है।
डिजिटल उधारी दिशा-निर्देशों में शामिल उपायों से वित्तीय सेवाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी और हमने की फैक्ट शीट (केएफएस) जैसे कई सकारात्मक बदलाव देखे हैं जो ऋण लेने वालों को उपयुक्त विकल्प चुनने में सक्षम बनाएंगे।’
शेट्टी ने कहा, ‘हम ऐसे नियामकीय ढांचे का स्वागत करेंगे जो निष्पक्षता बढ़ाएगा और हमारा मानना है कि ऐसा ढांचा खराब कंपनियों को दूर रखने तथा ग्राहक-केंद्रित उधारी प्रणालियों के विकास को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगा।
डिजिटल उधारी की तेजी से बढ़ रही रफ्तार को देखते हुए मजबूत नियामकीय ढांचे से ग्राहकों को जरूरी जानकारियों से अवगत रहने और उन्हें सुरक्षित तरीके से ऋण तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी।’
फेस-इक्विफैक्स फिनटेक लेंडिंग ट्रेंड्स रिपोर्ट द्वारा जारी डिजिटल उधारी संबंधित आंकड़े से पता चलता है कि मार्च 2023 में समाप्त हुए वर्ष में 92,267 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए, जो वित्त वर्ष 2022 के 76,396 करोड़ रुपये के मुकाबले सालाना आधार पर 21 प्रतिशत की वृद्धि है। वितरित ऋणों की संख्या सालाना आधार पर 49 प्रतिशत तक बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 7.1 करोड़ हो गई, जो एक साल पहले की समान अवधि में 4.77 करोड़ थी।