भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मझोली और निचली श्रेणी में आने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को योग्य कर्ज जोखिम हस्तांतरण उत्पादों के साथ अपने ऋण जोखिम को कम करने की अनुमति देने का फैसला किया है। पहले यह सुविधा उच्च श्रेणी के NBFC के लिये उपलब्ध थी।
उच्च श्रेणी (अपर-लेयर) की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी को बड़ी राशि के कर्ज से जुड़े मौजूदा नियमों के तहत ऋण को लेकर कुछ कर्ज जोखिम हस्तांतरण उपकरणों के साथ जोखिम को कम करने की अनुमति है। हालांकि मझोली (मिडिल लेयर) और निचली श्रेणी (बेस लेयर) के अंतर्गत आने वाली NBFC के लिये इस प्रकार की सुविधा नहीं है।
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RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा, ‘‘NBFC के बीच उपरोक्त मानदंडों में सामंजस्य स्थापित करने के लिये मझोली और निचली श्रेणी में आने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को योग्य कर्ज जोखिम हस्तांतरण उत्पादों के साथ अपने ऋण जोखिम कम करने की अनुमति देने का फैसला किया गया है।’’
इस रूपरेखा का उद्देश्य बड़े कर्ज के मामले में किसी एक इकाई या समूह तक ऋण को सीमित करना है क्योंकि इससे कारोबार के विफल होने की स्थिति में काफी जोखिम रहता है। RBI जल्दी ही इस संदर्भ में दिशानिर्देश जारी करेगा।