facebookmetapixel
Nepal GenZ protests: नेपाल में राजनीतिक संकट गहराया, बड़े प्रदर्शन के बीच पीएम ओली ने दिया इस्तीफाGST Reforms: बिना बिके सामान का बदलेगा MRP, सरकार ने 31 दिसंबर 2025 तक की दी मोहलतग्रामीण क्षेत्रों में खरा सोना साबित हो रहा फसलों का अवशेष, बायोमास को-फायरिंग के लिए पॉलिसी जरूरीबाजार के संकेतक: बॉन्ड यील्ड में तेजी, RBI और सरकार के पास उपाय सीमितभारतीय स्टार्टअप के सपने साकार करने के लिए वेंचर कैपिटल ईकोसिस्टम को बढ़ावा देना आवश्यककरिश्मा कपूर के बच्चे दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे, पिता संजय कपूर की करोड़ों की संपत्ति में मांगा हिस्साSEBI vs Jane Street: सेबी का जेन स्ट्रीट को और डेटा देने से इनकार, अगली सुनवाई 18 नवंबर कोNifty 50 कंपनियों की आय में गिरावट, EPS ग्रोथ रेट 4 साल में सबसे कमRSS ‘स्वयंसेवक’ से उपराष्ट्रपति तक… सीपी राधाकृष्णन का बेमिसाल रहा है सफरभारत के नए उप राष्ट्रपति चुने गए सीपी राधाकृष्णन, बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के भारी अंतर से हराया

आरबीआई ने शेयरों के बदले में कर्ज देने और एनबीएफसी के सबसे बड़े ऋण जोखिम का ब्योरा मांगा

Last Updated- February 28, 2023 | 9:02 PM IST
repo rate

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शेयरों के बदले में ऋण देने और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के सबसे बड़े ऋण जोखिम का ब्योरा मांगा है।

एक सूत्र ने बताया कि केंद्रीय बैंक के पर्यवेक्षण विभाग ने पिछले सप्ताह यह जानकारी मांगी थी और बड़े ऋण जोखिम का ब्योरा जमा करने की समय सीमा सोमवार थी। आरबीआई का यह संदेश बिजनेस स्टैंडर्ड ने देखा है।

शेयरों के बदले उधार देने के संबंध में आरबीआई ने कहा कि इसमें गिरवी के रूप में स्वीकृत या पूंजी बाजार परिचालन के रूप में, कर्जदारों के डिमैट खातों पर मुख्तारनामा प्राप्त करके शेयरों का हस्तांतरण या किसी अन्य माध्यम से किया गया लेन-देन शामिल होगा।

ऋण जोखिम के संबंध में मांगे गए ब्योरे में शामिल हैं – एनबीएफसी के 10 सबसे बड़े ऋण जोखिम, चाहे वे एकल हों या जुड़े हुए; 10 प्रतिशत के बराबर या उससे अधिक का मूल्य अथवा टियर1 पूंजी वाला ऋण जोखिम; टीयर1 पूंजी के 10 प्रतिशत मूल्य वाला अन्य ऋण जोखिम तथा टीयर1 के 10 प्रतिशत के बराबर या इससे अधिक वाले छूट प्राप्त जोखिम।

एक अन्य बैंकर ने कहा कि मांगी गई जानकारी का उद्देश्य बड़े एनबीएफसी कर्जदारों द्वारा क्षेत्रीय (पूंजी बाजार) और सामान्य दोनों ही लाभ का पता लगाना है।

अदाणी प्रकरण से जून 2019 की अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर: 2019) में बैंकिंग नियामक द्वारा जताई गई चिंता के संबंध में भी काफी समर्थन मिला है।

इसमें कहा गया था कि प्रवर्तकों द्वारा गिरवी के अधिक स्तर को चेतावनी संकेत के रूप में देखा जाता है, जो कंपनी की खराब हालत की ओर इशारा करता है और शायद ऐसी स्थिति को जहां कंपनी अन्य विकल्पों के माध्यम से रकम जुटाने में असमर्थ रहती है।

इसके अलावा अधिक गिरवी की गतिविधि किसी भी कंपनी के लिए जोखिम भरी होती है क्योंकि कर्ज चुकाने से कंपनी की वृद्धि के लिए कोई जगह नहीं बचेगी।

इसमें कहा गया है कि एक सामान्य चलन के रूप में प्रवर्तक शेयर तब गिरवी रखते हैं, जब मौजूदा ऋण प्रबंधन उनके लिए मुश्किल हो जाता है। यह आखिरकार उन्हें एक विस्तृत ऋण जाल ले जाता है, जो निवेशक के हित के लिए हानिकारक होता है।

First Published - February 28, 2023 | 9:02 PM IST

संबंधित पोस्ट