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RBI ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए नियमों को सख्त करने का रखा प्रस्ताव

RBI चाहता है कि डिपॉजिट लेने वाली आवास वित्त कंपनियां मार्च 2025 तक अप्रूव्ड सिक्योरिटी सहित अपनी कुल तरल संपत्ति को सार्वजनिक डिपॉजिट के 13% से बढ़ाकर 15% कर लें।

Last Updated- January 15, 2024 | 7:46 PM IST
RBI

RBI पब्लिक डिपॉजिट लेने वाली हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFC) के लिए नियमों को सख्त बनाना चाहता है, जिससे उन्हें गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के बराबर लाया जा सके। RBI ने सोमवार को एक ड्राफ्ट सर्कुलर में यह बात प्रस्तावित की।

RBI चाहता है कि डिपॉजिट लेने वाली आवास वित्त कंपनियां मार्च 2025 तक अप्रूव्ड सिक्योरिटी सहित अपनी कुल तरल संपत्ति को सार्वजनिक डिपॉजिट के 13% से बढ़ाकर 15% कर लें।

RBI चाहता है कि हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां (HFC) डिपॉजिट स्वीकार करने के लिए अन्य प्रकार की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के समान नियमों का पालन करें। इस कदम का उद्देश्य बोर्ड भर में सुसंगत और विवेकपूर्ण स्टैंडर्ड को सुनिश्चित करना है।

RBI ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFC) के लिए पब्लिक डिपॉजिट की सीमा को उनके शुद्ध स्वामित्व वाले फंड के 3 गुना से घटाकर 1.5 गुना करने की सिफारिश की है।

सर्कुलर के मुताबिक, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को जनता की डिपॉजिट राशि एक से पांच साल के भीतर चुकानी होगी।

अगस्त 2019 से, जब RBI ने राष्ट्रीय आवास बैंक से HFC का रेगुलेशन अपने हाथ में ले लिया, तो उनके साथ एक विशिष्ट प्रकार की NBFC की तरह व्यवहार किया गया है।

RBI ने सोमवार को सुझाव दिया कि हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFC) को यह तय करना चाहिए कि वे गैर-सूचीबद्ध शेयरों में कितना निवेश करती हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि HFC अपने संचालन से जुड़े जोखिमों से खुद को बचा सकते हैं।

RBI ने हितधारकों से 29 फरवरी तक ड्राफ्ट सर्कुलर पर कॉमेंट मांगे हैं। (रॉयटर्स के इनपुट के साथ)

First Published - January 15, 2024 | 7:46 PM IST

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