RBI MPC Meet: भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र ने मौद्रिक नीति के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आरबीआई ओवरनाइट इंडेक्स स्वैप (ओआईएस) बाजार में विदेशी निवेशकों की निवेश सीमा की समीक्षा कर रहा है। अभी विदेशी निवेशकों ने ओआईएस लेनदेन के लिए तय 3.5 अरब रुपये की सीमा का 96 फीसदी इस्तेमाल किया है, यानी वे अधिकतम सीमा के करीब हैं।
ओआईएस बाजार सरकारी बॉन्ड बाजार के लिए डेरिवेटिव मार्केट है, जहां निवेशकों को ब्याज दर में उतारचढ़ाव के खिलाफ हेजिंग की इजाजत मिलती है। जेपी मॉर्गन की तरफ से भारतीय बॉन्ड को अपने इमर्जिंग मार्केट डेट इंडेक्स में पिछले साल सितंबर में शामिल किए जाने के बाद इस सेगमेंट में ट्रेडिंग काफी ज्यादा बढ़ी है।
पीएनबी गिल्ट्स के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी विकास गोयल ने कहा, डिप्टी गवर्नर ने सही कहा है, जिससे 5 वर्षीय व 10 वर्षीय सेगमेंट में और मांग बढ़ेगी। ओआईएस सीमा भी समीक्षा के दायरे में है, मुझे लगता है कि वे इसमें इजाफा करेंगे क्योंकि वे सभी कारोबार देश में चाहते हैं। लेकिन मसला यह है कि जब नियम तय हो जाएंगे तो उनमें बदलाव नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह कुछ हद तक अनिश्चितता पैदा करता है।
पात्र ने कहा कि फुली एक्सेसेबल रूट (एफएआर) से नए 14 वर्षीय व 30 वर्षीय सरकारी बॉन्डों को निकालने से 5 व 10 वर्षीय बॉन्डों की मांग मजबूत हो सकती है। डेट में वॉल्यूम बढ़ने के साथ इस सेगमेंट में नकदी में बढ़ोतरी होगी, प्राइस डिस्कवरी सुधरेगी और लेनदेन लागत कम होगी।
पात्र ने कहा, मुझे उम्मीद है कि इसे 5-10 साल वाले सेगमेंट में संकेंद्रित किए जाने से यह वास्तव में और तरल होगा।