अक्टूबर में ओवरनाइट इंडेक्स स्वैप रेट (ओआईएस) में बढ़ोतरी हो रही है। डीलरों के मुताबिक अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी और भारतीय रिजर्व बैंक के दर तय करने वाले पैनल के दर कम करने में देरी करने के अनुमान के कारण ओआईएस में वृद्धि हुई।
ओआईएस दर ब्याज दरों में संभावित बदलाव को उजागर करने वाले महत्त्वपूर्ण संकेतक हैं। यह भारत में ब्याज दर जोखिम की हेजिंग का मुख्य तरीका है। इस अवधि में पांच वर्षीय ओआईएस दर और 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड की यील्ड का अंतर घटकर आठ आधार अंक रह गया है।
अक्टूबर महीने में 5 वर्षीय ओआईएस की दर में 10 आधार अंक का इजाफा हुआ है जबकि एक वर्षीय ओआईएस दर में 8 आधार की वृद्धि हुई है। हालांकि 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड की यील्ड में 2 आधार अंक का इजाफा हुआ।
घरेलू दर तय करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अक्टूबर में लगातार 10वीं बार रीपो दर को यथावतर रखा है।
हालांकि समिति ने अपना रुख बदला है और अपना रुख समयोजन से बदलकर तटस्थ कर दिया।
कुछ अर्थशास्त्रियों को दिसंबर में होने वाली अगली बैठक में नीतिगत रीपो दर में कमी आने की उम्मीद है। आईसीआईसीआई प्राइमरी डीलरशिप के वाइस प्रेजिडेंट नवीन सिंह ने कहा, ‘5 वर्षीय दर यूएस यील्ड का अनुसरण कर रहा है। एक वर्षीय की नजर घरेलू कारकों पर थी।’
उन्होंने बताया कि लोग स्प्रेड पर छोटी अवधि के अलावा एक्टिव कॉल्स नहीं ले रहे हैं और वे 5 वर्षीय ओआईएस पर अधिक कॉल्स नहीं ले रहे हैं।
बाजार के भागीदारों के अनुसार सितंबर माह में अनुमान से अधिक महंगाई होने के अनुमान के कारण आगे 1 वर्षीय ओआईएस दर में और वृद्धि हो सकती है। ऑफशोर कारोबारियों को स्थिर ब्याज मिलने के कारण पांच वर्षीय ओआईएस दर सुस्त है।
उन्होंने कहा कि एक वर्षीय ओआईएस वक्र अगले छह महीनों में घरेलू दर निर्धारण पैनल के 50 आधार अंक कटौती को दर्शा रहा है।