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एनबीएफसी का एमएसएमई को ऋण महंगा!

रिजर्व बैंक के नवीनतम दिशानिर्देश के तहत विनियमित इकाइयां (आरई) ऋण गारंटी योजनाओं के तहत लिए गए ऋण पर डिफॉल्ट लॉस गारंटी (डीएलजी) समझौते नहीं कर सकती हैं।

Last Updated- May 28, 2025 | 11:09 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर

लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यमों को गैरबैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का ऋण महंगा हो सकता है। एनबीएफसी के अधिकारियों के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक के इस महीने की शुरुआत में जारी डिजिटल ऋण के मानदंडों के कारण ऋण गारंटी योजना में अधिक प्रावधान किए जाने से यह ऋण महंगा हो सकता है। एमएसएमई को दिए जाने वाले ज्यादातर ऋण गारंटी योजना के तहत दिए जाते हैं।

रिजर्व बैंक के नवीनतम दिशानिर्देश के तहत विनियमित इकाइयां (आरई) ऋण गारंटी योजनाओं के तहत लिए गए ऋण पर डिफॉल्ट लॉस गारंटी (डीएलजी) समझौते नहीं कर सकती हैं। अभी ऋण गारंटी योजनाओं के तहत इन स्वीकृत ऋणों पर शून्य जोखिम भारांश लागू है। डीएलजी विनियमित इकाई और अन्य इकाई में समझौता व्यवस्था है। इसमें अन्य इकाई विनियमित इकाई को ऋण पोर्टफोलियो में चूक के कारण होने वाले नुकसान के खिलाफ खास प्रतिशत तक क्षतिपूर्ति करने की गारंटी देता है।  

ऋण सेवा प्रदाता (एसएलपी) गैर-बैंकिंग कंपनियों को ऋण गारंटी योजनाओं के तहत आने वाले ऋणों के लिए डीएलजी प्रदान करते हैं ताकि यदि कोई ऋण फंस जाए तो उसकी भरपाई की जा सके। अधिकारियों ने कहा कि इन प्रतिबंधों के बाद एनबीएफसी को अपना नुकसान स्वयं वहन करना होगा क्योंकि एलएसपी इन एनबीएफसी को नुकसान की गारंटी नहीं दे सकते। डीएलजी ज्यादातर मामलों में पांच प्रतिशत तय है।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यदि ऋण गारंटी योजना के तहत दिए गए ऋणों के लिए दर 12 प्रतिशत थी तो अब यह 15 प्रतिशत होगी। कारण यह है कि यदि यह ऋण फंस जाता है तो हमें (संबंधित एनबीएफसी) नुकसान उठाना होगा। हमें प्रावधान करने होंगे और इसके परिणामस्वरूप उधार दरों में वृद्धि होगी।’ ऋण गारंटी योजना ऋण डिलिवरी प्रणाली को मजबूत करने, एमएसएमई क्षेत्र और अन्य वंचित क्षेत्रों को ऋण आसानी से मुहैया करने के लिए शुरू की गई थी।

लघु व सूक्ष्म उद्यमों का ऋण गारंटी फंड ट्रस्ट बैंकों और एनबीएफसी को ऋण पर गारंटी देता है। इससे सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए उधार जोखिम कम हो जाता है। ऋण गारंटी योजनाओं के तहत ऋणों पर आमतौर पर प्रतिस्पर्धी ब्याज होता है।

यह वित्तीय संस्थानों को उच्च जोखिम वाले व्यवसायों को उधार देने में सक्षम बनाता है, जिससे एमएसएमई के लिए ऋण अधिक सुलभ हो जाते हैं।

First Published - May 28, 2025 | 10:45 PM IST

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