भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जानकीरमण ने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म में पर्याप्त पारदर्शिता के अभाव के कारण ग्राहकों को विवादों के समाधान या मुआवजा पाने में दिक्क्तों का सामना करना पड़ सकता है। फ्रांस की राजधानी पेरिस में ग्लोबल मनी वीक, 2023 में इस हफ्ते की शुरुआत में अपने संबोधन में स्वामीनाथन ने यह बात कही।
आरबीआई की वेबसाइट पर गुरुवार को जारी भाषण के मुताबिक डिप्टी गवर्नर ने डिजिटल प्लेटफॉर्म की महत्वपूर्ण विशेषताओं के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इनसे सहजता से पहुंच और अति वैयक्तिकरण जैसे फायदे हैं। हालांकि उन्होंने इसके संभावित जोखिम और इससे होने वाली धोखाधड़ी पर भी प्रकाश डाला।
स्वामीनाथन ने कहा, ‘अक्सर नियामकीय दायरे के बाहर काम करते हुए और पारंपरिक बैंकों को प्रभावित करने वाली परंपरागत प्रणालियों से न बंधी हुई वित्तीय-प्रौद्योगिकी कंपनियां वित्तीय उत्पादों की पेशकश में उल्लेखनीय तीव्रता और अनुकूलनशीलता प्रदर्शित करती हैं। यह विकास वास्तव में स्वागतयोग्य हैं। हालांकि, उनसे पहुंच और अत्यधिक-वैयक्तिकरण जैसे व्यापक लाभ मिलते हैं, लेकिन वे दुरुपयोग और धोखाधड़ी के जोखिम को भी बढ़ाते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘वे उपभोक्ताओं को साइबर हमलों, डेटा चोरी और अक्सर कुछ वित्तीय नुकसान के जोखिम में डाल सकते हैं। ऐसी कंपनियों की ओर से पारदर्शिता में कमी दिखाने के कारण उपभोक्ताओं को विवादों को सुलझाने या क्षतिपूर्ति प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है।’
उन्होंने यह स्वीकार किया कि फिशिंग अटैक और लापरवाही के कारण नियमित रूप से अनाधिकृत लेन-देन का खतरा है। लिहाजा उपभोक्ताओं को जागरूक और शिक्षित करना अहम है। उन्होंने कहा कि भारत निरंतर रूप से वित्तीय साक्षरता बढ़ाने का प्रयास करता रहा है। इसके लिए कई पहल की गई हैं। इस क्रम में वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीति और आरबीआई की ऑल इंडिया क्विज का प्रदर्शन शानदार रहा है। उन्होंने कहा कि विविध समुदायों में वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए विनियामक, एनजीओ, जमीनी स्तर पर कार्य करने वाली संस्थाओं को संयुक्त रूप से काम करना होगा।