नई पेंशन योजना (एनपीएस) की न्यूनतम सुनिश्चित मुनाफा योजना (एमएआरएस) पर फ्लोटिंग दरें लागू होंगी, जिन्हें हर साल तय किया जाएगा। अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में पेंशन नियामक द्वारा शुरू की जाने वाली संभावित नई योजना में यह प्रस्ताव किया गया है। पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के चेयरमैन सुप्रतिम बंद्योपाध्याय ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि योजना के लिए 10 साल की लॉक-इन अवधि होगी और 10 साल की सरकार की प्रतिभूति के मुताबिक मुनाफे की दर तय की जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘गारंटी नियत गारंटी नहीं होगी, यह हर एक साल पर बदलेगी।’ मान लीजिए कि आज गारंटी 5 प्रतिशत पर तय की गई है। यह एक साल के लिए वैध होगी और उसके बाद इसे फिर से तय किया जाएगा, जो इससे ऊपर भी हो सकती है, कम भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि अगर इस बीच कोई झटका लगता है और प्रतिफल में बदलाव बहुत ज्यादा होता है तो पीएफआरडीए इसमें हस्तक्षेप करेगा और उसे फिर से तय करेगा।
बंद्योपाध्याय ने कहा कि यह गारंटी 10 साल की सरकार की प्रतिभूति से कम होगी। अगर 10 साल का सरकारी पेपर 7.5 प्रतिशत ब्याज देता है तो गारंटी 5 हो सकती है, जिसमें 2.5 प्रतिशत या ऐसा ही अंतर होगा। अगर बाजार का प्रदर्शन बेहतर रहता है और मुनाफे की दर 5 प्रतिशत से ज्यादा रहती है तो यह निवेशकों को दिया जाएगा। अगर बाजार खराब प्रदर्शन करता है और मुनाफे की दर 5 प्रतिशत से नीचे आती है तो फंड मैनेजर को इस अंतर का बोझ उठाना होगा। इस मकसद की पूर्ति हेतु फंड मैनेजरों के लिए पीएफआरडीए दिवाला मानक पेश करेगा। उन्होंने कहा कि यह बीमा कंपनियों की तरह होगा क्योंकि यह पहला मौका है, जब एमएआरएस पेश किया जा रहा है।
मौजूदा योजना में प्रायोजक, चाहे वह व्यक्तिगत हों, या संयुक्त, की कुल पूंजी पिछले प्रत्येक 5 वित्तीय वर्षों की अंतिम तिथि को कम से कम 50 करोड़ रुपये होनी चाहिए। तभी वे पीएफआरडीए में आवेदन कर सकेंगे। इस राशि में से कम से कम 25 करोड़ रुपये पूंजी होनी चाहिए। बंद्योपाध्याय ने कहा कि पीएफआरडीए बोर्ड इस प्रस्ताव पर जल्द ही चर्चा करेगा। बोर्ड की मंजूरी के बाद प्रस्ताव पर सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसियों और फंड मैनेजरों के साथ चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में इस योजना को पेश किया जा सकता है।
सबस्क्राइबरों के लिए 10 साल लॉक-इन अवधि का मतलब यह है कि यह योजना इतने वर्षों के लिए होगी। इसका मतलब यह है कि 10 साल न्यूनतम होंगे और यही अधिकतम अवधि होगी। सिर्फ उन्हीं निवेशकों को गारंटीयुक्त मुनाफा दिया जाएगा, जो 10 साल तक निवेश बनाए रखेंगे। एमएआरएस पर पीएफआरडीए की परामर्शदाता कंपनी ईवाई एक्चुरियल सर्विसेज ने पेंशन नियामक को 6 ढांचों का सुझाव दिया है। नियामक और पेंशन फंड मैनेजर उसमें से एक का चयन करेंगे।
पीएफआरडीए के एक अधिकारी ने कहा, ‘यह सबसे सरल है। हमारे और पेंशन फंड प्रबंधकों में सहमति हुई है कि नियत वर्षों के लिए नियत गारंटी हो सकती है। गारंटी की नियत दर पर अब फैसला होगा।’ एमएआरएस अहम हो गया है क्योंकि राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड सरकारों ने एनपीएस से बाहर रहने का विकल्प चुना है और पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) अपनाने का फैसला किया है। पंजाब और हिमाचल प्रदेश भी इस पर विचार कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2004 से अपने नए कर्मचारियों के लिए एनपीएस अनिवार्य कर दिया है और इसके साथ ही पश्चिम बंगाल को छोड़कर अन्य सभी राज्यों ने भी अपने कर्मचारियों के लिए एनपीएस अपना लिया है।