जीवन बीमा के न्यू बिजनेस प्रीमियम (एनबीपी) में वृद्धि सुस्त रहने का अनुमान है। बीमा कंपनियों के अधिकारियों के अनुसार बीते वर्ष के उच्च आधार के कारण मार्च, 2024 का कारोबार गिर सकता है। दरअसल, सरकार ने एक साल पहले उच्च मूल्य की पॉलिसियों पर कर लगाने के मानदंडों में संशोधन किया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 24 के केंद्रीय बजट में घोषणा की थी कि ऐसी बीमा पॉलिसियां (यूनिट लिंक्ड बीमा योजना या यूलिप के अलावा) जिनका समन्वित प्रीमियम पांच लाख रुपये से ज्यादा है उनकी परिपक्वता राशि को कर से छूट नहीं मिलेगी। यह कानून 1 अप्रैल, 2023 से लागू हो गया है। इस कर लगाने की घोषणा के बाद जीवन बीमा कंपनियों के एनबीपी में मार्च 2023 के बाद जबरदस्त मजबूती देखी गई थी।
इनका प्रीमियम मार्च 2023 में सालाना आधार पर 14.45 फीसदी बढ़कर 59,608.83 करोड़ रुपये हो गया था जबकि यह मार्च 2022 में 52,081.12 करोड़ रुपये था।
इस अवधि में जीवन बीमा पर व्यक्तिगत प्रीमियम सालाना आधार पर 27.74 फीसदी बढ़कर 26,241.14 करोड़ रुपये हो गया जबकि व्यक्तिगत प्रीमियम खंड में दबदबा रखने वाली निजी बीमा कंपनियों का प्रीमियम सालाना आधार पर 44 फीसदी बढ़कर 15,884.99 करोड़ रुपये हो गया।
जीवन बीमा कंपनियों द्वारा एक वर्ष की अवधि में नई पॉलिसियों से प्राप्त प्रीमियम एनबीपी है। यह पहले साल के प्रीमियम व एकल प्रीमियम का योग होता है और यह नए कारोबार से कुल प्राप्त प्रीमियम बताता है।
श्रीराम लाइफ इंश्योरेंस के एमडी एवं सीईओ कैस्परस क्रॉमहौट ने बताया , ‘फरवरी, 2024 तक कुल रिटेल प्रीमियम के मामले में निजी बीमा उद्योग 11 फीसदी बढ़ा है। हालांकि कर नियमों में बदलाव के कारण बीते वर्ष मार्च में कारोबार में जबरदस्त इजाफा हुआ था।
वित्त वर्ष 24 में लागू होने वाले नए कानून का तत्काल प्रभाव यह हुआ था कि मार्च, 2023 में रिटेल कारोबार में 44 फीसदी इजाफा हुआ था।’
बहरहाल जीवन बीमा कंपनियों को कम ही उम्मीद है कि वे मार्च 2024 में बीते साल के रिकॉर्ड को दोहरा पाएंगी। इसका कारण यह है कि बीते वर्ष का आधार ऊंचा है और पांच लाख रुपये से अधिक सालााना प्रीमियम वाली पॉलिसियों की बिक्री में गिरावट आई है।