सामान्य करदाता आम तौर पर आयकर रिटर्न दाखिल करने में देर नहीं करते हैं। अगर आपने भी 31 दिसंबर, 2021 की मियाद तक अपना रिटर्न दाखिल कर दिया था और आयकर विभाग से आपका कोई कर रिफंड बनता था तो उस रिफंड की रकम अब तक आपके बैंक खाते में आ चुकी होगी। लेकिन कर विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ मामलों में करदाता के खाते में वाजिब रिफंड से कम रकम आई है। यदि आपके साथ भी ऐसा हुआ है तो सबसे पहले अपने कागजात और भरे हुए रिटर्न पर नजर डालिए ताकि आपको इसकी वजह समझ आ जाए। वजह समझ आने के बाद ही आप बाकी रकम पाने के लिए जरूरी कदम उठा पाएंगे।
प्री-फिलिंग का दोष
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि रिफंड की कम रकम आने की वजह नया आयकर पोर्टल है। टीएएस लॉ में पार्टनर उत्सव त्रिवेदी कहते हैं, ‘ऐसे कई मामले आते हैं, जहां नए आयकर रिटर्न पोर्टल में तकनीकी खामियों की वजह से करदाता को वास्तव में कम रिफंड मिला होता है।’
नए पोर्टल में मौजूद आयकर रिटर्न फॉर्म में कुछ जानकारी पहले से ही भरी होती है मसलन आय, वेतन, स्थिर और बचत जमाओं पर मिलने वाला ब्याज, लाभांश से हुई आय आदि। त्रिवेदी समझाते हैं, ‘जब आप रिटर्न दाखिल कर देते हैं तब आयकर विभाग का काम शुरू होता है और वह पहले से भरे गए फॉर्म में मौजूद जानकारी से आपके रिटर्न में दी गई जानकारी का मिलना करता है। मिलान के बाद ही कर रिफंड जारी किया जाता है। यदि दोनों स्रोतों की जानकारी आपस में नहीं मिलतीं तो विभाग पहले से भरे हुए फॉर्म में मौजूद जानकारी को सही मानता है और उसी के हिसाब से रिफंड जारी करता है।’ इसीलिए हो सकता है कि अपने रिटर्न के हिसाब से आप जितने रिफंड का इंतजार कर रहे हों, आपको उससे कम रकम मिले। कभी-कभी स्रोत पर काटे गए कर यानी टीडीएस के साथ किसी दिक्कत के कारण भी उम्मीद से कम रिफंड आता है। मुंबई में कर एवं निवेश विशेषज्ञ बलवंत जैन कहते हैं, ‘जितना भी टीडीएस काटा जाता है, उसकी जानकारी फॉर्म 26एएस में होती है। कभीकभार टीडीएस की उचित राशि इस फॉर्म में नहीं होती है। ऐसा इसलिए हो सकता है कि टीडीएस काटने वाली संस्थाने पूरी रकम ही जमा नहीं की हो। कुछ मामलों में ऐसा तब हो जाता है, जब टीडीएस काटने वाली संस्था से लिपिकीय गलती हो जाए जैसे गलत पैन भर देना।’
एआईएस की समस्या
इस वित्त वर्ष से आयकर विभाग ने वार्षिक सूचना विवरण (एआईएस) में दी गई जानकारी का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। एआईएस में ऊंची कीमत वाले कई सौदों की जानकारी होती है। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में पार्टनर अंगद संधू बताते हैं, ‘एआईएस अक्टूबर में ही उपलब्ध कराया गया, इसलिए उससे पहले रिटर्न जमा कर देने वाले करदाता उसे नहीं देख सके। ऐसे में वे अपनी आय के कुछ हिस्सों की जानकारी रिटर्न में देने से चूक गए होंगे और अब उन्हें कम रिफंड मिल रहा होगा।’
भूली आय और सौदे
शेयरों में कारोबार के लिए एक से अधिक खाते रखने वाले कई लोग अक्सर केवल अपने प्राथमिक खाते में हुए सौदों का ही खुलासा करते हैं। बाकी खातों से किए गए सौदों को वे छोड़ देते हैं।
कई करदाता वेतन के अलावा अन्य स्रोतों से होने वाली आय की पूरी तरह गणना करने में चूक जाते हैं। जैन कहते हैं, ‘वेतनभोगी करदाता फॉर्म 16 के आधार पर आयकर रिटर्न दाखिल कर देते हैं मगर फिक्स्ड डिपॉजिट, बचत खातों आदि से होने वाली ब्याज आय शामिल करना भूल जाते हैं।’ जिन लोगों के कई बैंक खाते होते हैं, वे भी कभीकभार उन सबसे मिले आय की जानकारी देने में चूक जाते हैं।
फिर क्या करें
सबसे पहले आकलन अधिकारी को अपनी समस्या के बारे में बताएं। त्रिवेदी समझाते हैं, ‘टेलीफोन, ई-पोर्टल या डाक के जरिये आकलन अधिकारी से फौरन संपर्क करें और उसे बताएं कि आपको कम रिफंड राशि मिली है। उसके बाद उसमें सुधार की अर्जी डालें।’ एआईएस में दी गई जानकारी, विभिन्न ट्रेडिंग खातों से होने वाली आय और बैंक खातों में मिले ब्याज को देखकर नए सिरे से अपने रिफंड का हिसाब लगाएं। इसके बाद सुधार की अर्जी दाखिल करें। जैन बताते हैं कि आयकर रिटर्न के ई-फाइलिंग पोर्टल पर मौजूद विकल्प का इस्तेमाल कर अर्जी दाखिल की जा सकती है।
कभी-कभी रिफंड की दरख्वास्त इसलिए खारिज कर दी जाती है क्योंकि करदाता के ऊपर पहले से कुछ कर बकाया होता है। करदाता को आयकर विभाग से नोटिस मिलता है, जिसमें बताया जाता है कि उस पर कितनी राशि बकाया है। अगर नोटिस आता है तो करदाता को अपने सभी कागजात जांचने चाहिए और उनके हिसाब से दोबारा देखना चाहिए कि उसकी कितनी कर देनदारी बन रही है और उसे कितना रिफंड मिलना चाहिए।
त्रिवेदी कहते हैं, ‘आपने पहले आयकर रिटर्न में जो आंकड़े भरे थे यदि वे सही हैं तो आप अपने दावे के हिसाब से सुधार के लिए आवेदन करें। अगर आपको पता चलता है कि आपने जो रिटर्न दाखिल किया था, वह गलत था तो जो भी बकाया राशि है, वह नोटिस में बताई गई मियाद के भीतर आयकर विभाग के पास जमा कर दीजिए।’