केंद्र सरकार 3 महीने के भीतर ग्रामीण क्रेडिट स्कोर (जीसीएस) फ्रेमवर्क लाने की तैयारी में है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2025-26 में इसकी घोषणा की थी। यह पहल ग्रामीण भारत में वित्तीय समावेशन को मजबूत करने के लिए तैयार की गई है, जिसमें स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के सदस्यों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
अधिकारी ने कहा, ‘ग्रामीण क्रेडिट स्कोर फ्रेमवर्क को लागू करने और इसकी प्रगति पर नजर रखने के लिए पहले ही एक समिति गठित कर दी गई है। योजना को लागू करने के लिए सरकार इस समय भारतीय रिजर्व बैंक की मंजूरी का इंतजार कर रही है। उम्मीद है कि योजना अगले 3 महीने में शुरू हो जाएगी।’ उम्मीद है कि जीसीएस मौजूदा क्रेडिट ब्यूरो के लिए एक पूरक साधन के रूप में काम करेगा, जिससे बैंकों, माइक्रोफाइनैंस संस्थानों और अन्य ऋणदाताओं को ग्रामीण उधारकर्ताओं की ऋण की पात्रता के बेहतर मूल्यांकन करने में मदद मिलेगी।
राज्यसभा में एक लिखित जवाब में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ चंद्र शेखर पेम्मासानी ने बताया, ‘क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) की वर्तमान क्रेडिट स्कोरिंग व्यवस्था डिजाइन सभी व्यक्तिगत उधारी लेने वालों के लिए है और इसमें ग्रामीण क्षेत्र के लिए अलग से कुछ विचार नहीं किया गया है। ग्रामीण और एसएचजी उधारी लेने वालों के क्रेडिट के आकलन के मकसद से तैयार किया गया ग्रामीण क्रेडिट स्कोर, ग्रामीण उधारकर्ताओं के बेहतर क्रेडिट आकलन को सुविधाजनक बनाएगा। इससे औपचारिक क्रेडिट तक उनकी पहुंच में सुधार होगा। सरकार संबंधित हितधारकों के साथ परामर्श करके ग्रामीण क्रेडिट स्कोर ढांचे की तौर-तरीकों और रूपरेखा पर काम कर रही है।’ इस समय निजी क्षेत्र के बैंक और लघु वित्त बैंक सामान्यतया सिबिल और सीआरआईएफ हाईमार्क जैसी एजेंसियों के माध्यम से उधारी लेने वाले की क्रेडिट हिस्ट्री की पुष्टि करते हैं। ये एजेंसियां उनके पिछले ऋण, पुनर्भुगतान के व्यवहार और चूक पर नजर रखती हैं। इन ब्यूरो से मिले बेहतर स्कोर से संकेत मिलता है कि उधारी लेने वाला समय से कर्ज का भुगतान कर सकता है।
केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति कार्डों के चल रहे वितरण के हिसाब से ग्रामीण क्रेडिट स्कोर का विशेष महत्त्व है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में क्रेडिट की मांग बढ़ने की उम्मीद है। 18 जनवरी को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पहल की आर्थिक क्षमता पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि एक बार जब ये कार्ड देश के सभी गांवों में जारी हो जाएंगे तो वे 100 लाख करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक गतिविधियां उत्पन्न करने में मदद कर सकते हैं। मोदी ने कहा था, ‘हमारे देश में 6 लाख से ज्यादा गांव हैं। कानूनी दस्तावेज मिलने के बाद लाखों लोगों ने अपने मकान और प्रॉपर्टी के आधार पर कर्ज लिया है।’