देश की सबसे बड़ी फिनटेक फर्म पेटीएम में बदलाव हो रहा है। कंपनी के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी (CEO) विजय शेखर शर्मा एक बार फिर कंपनी का रोजमर्रा का कामकाज देखने लगे हैं। फर्म ऋणदाताओं के साथ अपनी साझेदारी और कारोबारी रणनीति पर नए सिरे से विचार कर रही है।
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने कहा, ‘कंपनी के सभी विभागों के प्रमुख अब सीधे शर्मा को रिपोर्ट कर रहे हैं। फर्म में हर किसी का ध्यान कंपनी के मुख्य कारोबार को पटरी पर लाने के ऊपर है।’ पेटीएम से जब पूछा गया कि क्या शर्मा कुछ खास विभागों या क्षेत्रों को सीधे देख रहे हैं तो उसने कोई जवाब नहीं दिया।
पेटीएम ब्रांड का परिचालन (operation) करने वाली कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस (One97 Communications) का पूरा जोर भुगतान यानी पेमेंट के कारोबार पर है ताकि वहां दूसरी कंपनियों के हाथ गंवाई अपनी हिस्सेदारी वह फिर हासिल कर सके। कंपनी वित्तीय सेवाओं के वितरण की नीति पर काम कर रही है।
शर्मा तकनीक और वितरण नेटवर्क पर जोर दे रहे हैं, जो उनकी कंपनी ने पिछले 14 साल में तैयार किया है। वह मानते हैं कि इन्हीं दोनों के बल पर उन्हें दूसरी कंपनियों से आगे निकलने का मौका मिल सकता है। वन97 कम्युनिकेशंस के चौथी तिमाही के नतीजों (Q4FY24 Results) के बाद विश्लेषकों के साथ बात करते हुए शर्मा ने कहा था, ‘हम वह करेंगे, जो हमारे साझेदारों को पसंद है। हमारी तकनीक और वितरण हमारी बुनियाद है।’
यह बात तभी साफ हो गई थी, जब कंपनी ने सामान्य बीमा कंपनी के रूप में पंजीकरण के लिए भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के पास दी अपनी अर्जी वापस ले ली। कंपनी ने कहा कि वह पेटीएम इंश्योरेंस ब्रोकिंग द्वारा तैयार बीमा वितरण पोर्टफोलियो पर ध्यान देगी और अपना सामान्य बीमा उत्पाद नहीं लाएगी।
इस बीच पेटीएम ने कहा है कि वह मुख्य कारोबार के अलावा क्रॉस बॉर्डर बिजनेस और बैंकों के लिए सॉफ्टेयर ऐज अ सर्विस जैसे कारोबार से दूरी बनाएगी। साथ ही वह कर्मचारियों पर होने वाला खर्च कम करने पर भी ध्यान देगी। शर्मा ने कहा, ‘इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी पर कुल खर्च विशुद्ध पेमेंट कंपनी के खर्च की तुलना में ज्यादा रहा है।’
कंपनी कर्मचारियों पर होने वाला खर्च कम करेगी, जिससे इसे सालाना 400 से 500 करोड़ रुपये बचने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में कंपनी को 549 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में उसे 168.4 करोड़ रुपये का ही घाटा हुआ था।
पेटीएम पर लेनदेन में कम होने से उसके शुद्ध पेमेंट मार्जिन में भी गिरावट आई है। इससे वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में भुगतान एवं वित्तीय सेवाओं से कंपनी की आय पर भी असर पड़ा है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड के एक सवाल पर पेटीएम के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने वित्त वर्ष 2024 के नतीजों के दौरान कहा ही था कि हम अपने मुख्य कारोबार यानी पेमेंट पर दोगुना ध्यान देंगे। हाल ही में हमने यूपीआई के लिए चार बैंकों के साथ हाथ मिलाया है। इससे पता चलता है कि डिजिटल भुगतान में टिकाऊ वृद्धि लाने और देश में वित्तीय समावेशन बढ़ाने का हमारा संकल्प कितना मजबूत है।’
ईवाई इंडिया में पार्टनर और पेमेंट सेक्टर लीडर रणदुर्जय तालुकदार ने कहा, ‘नोटबंदी के समय से ही भुगतान और वितरण पेटीएम की दो बड़ी ताकत रही हैं। भुगतान उसका मुख्य कारोबार और उसने व्यापारियों तथा ग्राहकों के बीच वितरण का बड़ा नेटवर्क तैयार किया है।’
अपनी एक सहायक इकाई पर नियामक की कार्रवाई के बाद पेटीएम चाल बदल रही है और विशेषज्ञों को लगता है कि फिनटेक उद्योग के भागीदार अनुपालन और नियमों को गंभीरता से नहीं लेते हैं तो उन्हें समय-समय पर अपना कारोबारी मॉडल बदलना पड़ सकता है।
HDFC सिक्योरिटीज में रिटेल रिसर्च प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ‘मूल्यांकन के चक्कर में पड़कर स्टार्टअप फर्में खूब तेजी से बढ़ रहे कारोबार में उतर जाती हैं और उस पर जमकर पैसा खर्च करती हैं। मगर जब निवेशकों या नियामकों से दबाव आता है तो उनमें से कुछ कारोबार छोड़कर चली जाती हैं, उसे बंद कर देती हैं, घाटा झेलती हैं और कहीं और चल देती हैं। दूसरी कंपनियों के साथ भी ऐसा ही होता रहेगा।’
पेटीएम वित्तीय सेवा कारोबार को पटरी पर लाने के लिए वितरण पर जोर दे रही है। पर्सनल लोन देने में कंपनी का यह रवैया साफ नजर आता है। पेटीएम कर्ज देने वाली संस्थाओं के लिए रकम जमा करने और कर्ज बांटने के काम से दूर हट रही है।