वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों में से 5 को आगाह किया है कि एक ही समूह या उद्योग को ज्यादा कर्ज देने में बहुत जोखिम है। मंत्रालय ने उन्हें ऋण बांटते समय विविधता बनाए रखने को कहा है ताकि किसी एक उद्योग या समूह के पास ज्यादा कर्ज न पहुंच जाए।
वित्त वर्ष 2023 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के दौरान पिछले महीने वित्त मंत्रालय ने कहा कि बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, पंजाब ऐंड सिन्ध बैंक और यूको बैंक से जिन 10 इकाइयों ने सबसे अधिक कर्ज लिया है, 31 मार्च 2023 को इन बैंकों के कुल बकाया कर्ज का 10 फीसदी से अधिक उन्हीं के पास था।
वित्त मंत्रालय इस बात की जांच कर रहा था कि पांच सार्वजनिक बैंकों से सबसे अधिक कर्ज लेने वाली तीन कंपनियां या सबसे बड़ा कर्जदार समूह अगर कर्ज चुका नहीं पाते हैं तो सार्वजनिक क्षेत्र के उन बैंकों के पूंजी पर्याप्तता अनुपात को कितना नुकसान पहुंचेगा।
एक वरिष्ठ बैंकिंग अधिकारी ने कहा, ‘यह जोखिम संभालने की वित्त मंत्रालय की कवायद का हिस्सा है। इसके जरिये मंत्रालय पक्का करता है कि किसी को जरूरत से ज्यादा कर्ज देने से होने वाले खतरे टालने के लिए सार्वजनिक बैंकों में कारगर आंतरिक नीतियां लागू रहें।’
Also read: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर! FY24 में ग्रोथ रेट 6 फीसदी से ज्यादा रहने की उम्मीद
शार्दूल अमरचंद मंगलदास में पार्टनर और बैंकिंग एवं फाइनैंस प्रैक्टिस की प्रमुख वीणा शिवरामकृष्णन ने कहा कि अधिक कर्ज के पैमाने, एक कंपनी के लिए कर्ज की सीमा और एक समूह के लिए कर्ज की सीमा के पीछे भारतीय रिजर्व बैंक का मकसद अधिक कर्ज देने से रोकना है। उन्होंने कहा, ‘ऐसे जोखिम का सीधा और बड़ा असर बैंक की सेहत पर होता है। उन्हें बीच-बीच में जायजा लेते रहना चाहिए ताकि इसका दुरुपयोग नहीं हो सके। दुनिया भर में बैंकों की विफलता को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्रालय का यह कदम सामयिक प्रतीत होता है।’
मार्च की अपनी समीक्षा बैठक में मंत्रालय ने सार्वजनिक बैंकों से कहा था कि विकसित देशों में बैंकिंग संकट को ध्यान में रखते हुए उन्हें कंपनियों को दिया कुल कर्ज संभालना चाहिए। उसमें गिरवी रखे शेयर भी शामिल हैं।
इस बारे में पूछे जाने पर केनरा बैंक ने ईमेल भेजकर बताया कि 31 मार्च, 2023 को बैंक की 10 सबसे बड़ी कर्जदार कंपनी या तो सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न हैं या एएए/एए रेटिंग वाली कंपनियां हैं, जिनमें ऋण जोखिम बहुत कम होता है। पंजाब ऐंड सिन्ध बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बैंक के 10 बड़े कर्जदारों में सरकारी गारंटी वाली कंपनियां या ऊंची रेटिंग वाली कंपनियां हैं।
Also read: सेमीकंडक्टर सेक्टर में भारत 10 साल में वह हासिल करेगा, जो चीन तीन दशक में नहीं कर पाया : चंद्रशेखर
पंजाब नैशनल बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अतुल कुमार गोयल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में ऐसा ही कहा। उन्होंने कहा, ‘ऋण के मामले में कुल कर्ज का 54 फीसदी हिस्सा खुदरा, कृषि और एमएसएमई को दिया गया कर्ज होता है। नई कंपनियों को कर्ज देते समय बैंक चतुराई बरतता है।
बैंक हर महीने देखता है कि अंडरराइटिंग मानक किस तरह काम कर रहे हैं। कारोबार बढ़ाने के लिए बैंक संपत्ति की गुणवत्ता से समझौता नहीं करता है।’ बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक ने खबर लिखे जाने तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की थी।