शेयर बाजार ने हाल में जो दौड़ लगाई है, उसमें मिड और स्मॉल कैप फंडों ने लार्ज-कैप फंडों से बेहतर प्रदर्शन किया है। मिड कैप फंड श्रेणी में औसत प्रतिफल 69.7 फीसदी और स्मॉल कैप में औसत प्रतिफल 85.3 फीसदी रहा है। इनके मुताबिक लार्ज कैप फंड का प्रतिफल 53.2 फीसदी ही रहा।
मगर विशेषज्ञों की सलाह है कि निवेशकों को केवल अतीत में मिले प्रतिफल को देखकर ही नहीं बहक जाना चाहिए। उसके बजाय जब भी उन्हें लार्ज कैप या मिड और स्मॉल कैप फंडों में से किसी एक को चुनना हो तब उन्हें संपत्ति आवंटन पर ध्यान देना चाहिए।
उठापटक के लिए रहें तैयार
वृहद आर्थिक माहौल में बड़ा बदलाव आने वाला है। पिछले साल बाजार और तमाम दूसरे आंकड़े लॉकडाउन के कारण बहुत नीचे चले गए थे, जिनके कारण इस बार वृद्घि बहुत अधिक दिख रही है मगर अगले साल ऐसा नहीं होगा। महंगाई की चाल दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों को तरलता घटाने और ब्याज दरें बढ़ाने पर मजबूर कर सकती है। शेयरों का मूल्यांकन अधिक होने से आगे उनका प्रदर्शन कमजोर रहने की भी आशंका है। निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड में शेयर निवेश के उप मुख्य निवेश अधिकारी शैलेश राज भान कहते हैं, ‘दुनिया भर में शेयर बाजारों ने तेज आर्थिक सुधार की उम्मीद में पिछले डेढ़ साल के भीतर तेज दौड़ लगाई है। उन्हें नीतिगत उपायों, कम ब्याज दरों तथा तरलता का सहारा भी मिा है। लेकिन आर्थिक सुधार के साथ मुद्रास्फीति भी बढ़ी है, जिससे तरलता एवं कम दरों की व्यवस्था को चुनौती मिल रही है। अगर स्थितियां अनुमान से भी तेज गति से सामान्य हुईं तो धारणा बदल सकती है।’
स्मॉल कैप में अधिक जोखिम
फंड प्रबंधकों को लगता है कि निवेशकों को स्मॉल कैप के मामले में सतर्कता बरतनी चाहिए। अतीत का प्रतिफल बहुत आकर्षक है मगर उनमें जोखिम बहुत अधिक है। क्वांटम एसेट मैनेजमेंट कंपनी में फंड प्रबंधक (इक्विटी) सौरभ गुप्ता का कहना है, ‘स्मॉल-कैप में आम तौर पर तरलता कम होती है। रकम की मामूली आवक या निकासी से भी इन शेयरों की कीमत में तेज बदलाव हो सकता है। पिछले 18 महीने की तेज उछाल से स्मॉल-कैप की कीमत में बुलबुले दिख रहे हैं। निवेशकों को इनमें सतर्कता बरतनी चाहिए।’
रजामंदी जताते हुए भान कहते हैं, ‘हालिया उछाल के बाद कोई भी नकारात्मक खबर स्मॉल-कैप शेयरों पर बड़ा असर डाल सकती है।’ उनके हिसाब से स्मॉल-कैप में उतारचढ़ाव बहुत तेजी से होता है और निवेशकों को इनमें अधिक उछाल या गिरावट से बचने के लिए सोच-समझकर संपत्ति आवंटन करना चाहिए।
लार्ज-कैप ज्यादा महफूज
जब शेयर बाजार ऊपर-नीचे होने लगे या ब्याज दर चढऩे लगे तो मिड और स्मॉल-कैप शेयरों पर लार्ज-कैप शेयरों के मुकाबले ज्यादा असर पड़ता है। 2018 में लार्ज-कैप फंड की श्रेणी में औसतन 0.8 फीसदी गिरावट आई थी मगर मिड-कैप 10.5 फीसदी और स्मॉल-कैप 16.3 फीसदी लुढ़के थे। सबसे घटिया प्रदर्शन करने वाला मिड-कैप फंड 17 फीसदी और स्मॉल-कैप फंड 28.5 फीसदी गिरा था। ज्यादातर निवेशक ऐसे उतारचढ़ाव को नहीं पचा नहीं पाएंगे।
आईडीएफसी एएमसी में वरिष्ठ उपाध्यक्ष (इक्विटी) सुमित अग्रवाल कहते हैं, ‘इस समय जोखिम के लिहाज से लार्ज-कैप फंड बेहतर हैं। सुधार तथा वृद्घि का अगला चरण अब इस क्षेत्र के शीर्ष शेयरों में आना चाहिए। मूल्यांकन के लिहाज से भी देखें तो उनमे ंसे कुछ शेयर अपने छोटे प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले बहुत कम प्रीमियम पर चल रहे हैं।’
उप-संपत्ति आवंटन रहे सही
जोखिम की कम भूख वाले निवेशकों को लार्ज-कैप फंड का ही दामन थामना चाहिए और मिड तथा स्मॉल-कैप फंड से दूरी बरतनी चाहिए। अगर आपके पोर्टफोलियो में मिड और स्मॉल-कैप फंड रहते हैं तो हो सकता है कि सेंसेक्स की दौड़ के कारण इस श्रेणी में आपका आवंटन आवश्यकता से अधिक हो गया हो यानी आप ‘ओवरवेट’ हो गए हों। मुनाफावसूली कीजिए और अपना संपत्ति आवंटन पटरी पर ले आइए।
अग्रवाल की राय है, ‘लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाले 70 फीसदी आवंटन लार्ज-कैप फंड और 30 फीसदी मिड एवं स्मॉल-कैप फंड में कर सकते हैं।’ लेकिन उनका कहना है कि सही अनुपात निवेशक की जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करना चाहिए।
लंबी अवधि के लिए निवेश के लिहाज से पोर्टफोलियो में फिर संतुलन बिठाना और उसे बनाए रखना आपको निकट भविष्य में होने वाले उतार-चढ़ाव से उबार सकता है। गुप्ता की सलाह है, ‘अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा हर छह महीने में करें और उसे फिर से संतुलित बनाएं। साथ ही कम से कम पांच साल के लिए शेयरों में निवेश करें।’
