वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव विवेक जोशी ने कहा कि सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास पर भारी रकम खर्च किए जाने के बाद देश में नया निवेश चक्र शुरू करने के लिए निजी क्षेत्र को बड़े और साहसी निवेश के बारे में विचार करने की जरूरत है।
भारतीय स्टेट बैंक के बैंकिंग एवं आर्थिक सम्मेलन में बोलते हुए जोशी ने कहा, ‘इस चक्र की सफलता व्यापक तौर पर उन लोगों पर निर्भर है, जो इस हॉल में मौजूद (उद्योगपति) हैं। यह वक्त की मांग है कि बड़ा और साहसिक सोचें और समय से और तेजी से योजनाएं लागू हों। यह आसान नहीं है, लेकिन किया जा सकता है। भारत अब इस ओर तेजी से देख रहा है।’
उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हममें से सभी एक दिशा में चलें और मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि साथ आएं। पूंजीगत व्यय और निवेश में मुख्य भूमिका निभाने वाले उद्यमी हैं, जबकि बैंक और सरकार सुविधा प्रदाता है। सभी मिलकर काम करें तभी बात बनेगी।
उद्योग को समर्थन देने का हवाला देते हुए डीएफएस सचिव ने कहा कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी नए सिरे से आकलन की जरूरत हो सकती है। इस सबका एक और पहलू यह है कि परियोजनाओं के लिए धन और पूंजीगत व्यय अहम है। यह उतना ही महत्त्वपूर्ण है कि रोजगार सृजन के लिए छोटे ऋण तेजी से बढ़ें।
वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाना और नागरिकों की क्षमता का इस्तेमाल करना राष्ट्रीय प्राथमिकता के साथ नैतिक जरूरत है।
डिजिटल नेटवर्क और साइबर जोखिम का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वित्तीय संस्थानों को साइबर जोखिम के दबाव की जांच को जोखिम आकलन में शामिल किया जाए। अगर उनके सिस्टम पर कोई साइबर हमला होता है तो उसका आकलन जरूरी है। यूरोप व सिंगापुर के बैंकों ने इस दिशा में पहल की है और अब भारत को भी उचित कदम उठाने की जरूरत है।