बैंकिंग व्यवस्था में जमा आकर्षित करने की कवायद का असर अब दिखने लगा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों से पता चलता है कि 16 दिसंबर को समाप्त पखवाड़े में जमा में वृद्धि की दर पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 9.4 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि पिछले पखवाड़े की तुलना में 9.9 प्रतिशत बढ़ी है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 16 दिसंबर को समाप्त पखवाड़े में बैंकिंग व्यवस्था में समग्र जमा 173.53 लाख करोड़ रहा है, जो पहले के पखवाड़े में 175.24 लाख करोड़ रुपये था।
रिजर्व बैंक ने अपनी वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट (एफएसआर) में इस सप्ताह की शुरुआत में कहा है, ‘चालू खाता और जमा खाता (कासा) जमा में वृद्धि सुधरी है, जबकि ब्याज दरें बढ़ने से सावधि जमा की तरफ भी लोग आकर्षित हुए हैं।’ बहरहाल कर्ज की मांग में तेजी जारी है। 16 दिसंबर को समाप्त पखवाड़े में बैंकिंग व्यवस्था से कर्ज की मांग 17.4 प्रतिशत बढ़ी है। यह कहा जा सकता है कि कुछ पखवाड़े पहले के 18 प्रतिशत से ज्यादा के शीर्ष वृद्धि दर की तुलना में यह कम है।
रिजर्व बैंक ने एफएसआर में कहा है, ‘अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के ऋण वितरण में वृद्धि वित्त वर्ष 23 की दूसरी छमाही में शुरू हुई थी। अभी यह गति बनाए हुए है और यह 16 दिसंबर, 2022 को दशक के उच्च स्तर 17.4 प्रतिशत पर है, जो स्तर 2011 के दौरान देखा गया था। यह बढ़ोतरी हर भौगोलिक इलाके, आर्थिक क्षेत्रों, आबादी समूहों, संगठनों, खातों के विभिन्न प्रकारों में हुई है।’नकदी कम होने और ऋण की मांग ज्यादा होने का मतलब है कि बैंक अब सावधि जमा के रूप में टिकाऊ नकदी की तलाश कर रहे हैं और जमा दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं, जिससे ज्यादा जमा आकर्षित किया जा सके और कर्ज की मांग पूरी की जा सके।बहरहाल बैंक अपने उच्च गुणवत्ता वाली नकदी संपत्ति (एचक्टूएलए) में भी कमी कर रहे हैं, जिससे ऋण की मांग पूरी की जा सके।