अप्रत्याशित रूप से खुदरा महंगाई दर में वृद्धि से शुरुआती कारोबार में आई कमजोरी के बाद सरकार के बॉन्डों ने ज्यादातर नुकसान की भरपाई कर ली है। डीलरों का कहना है कि लुभावने प्रतिफल की आस में दीर्घावधि निवेशकों के खरीद बढ़ाने के कारण बॉन्डों में रिकवरी हुई है।
10 साल के बेंचमार्क बॉन्ड का प्रतिफल 7.37 प्रतिशत पर बंद हुआ, जो पहले 7.36 प्रतिशत पर बंद हुआ था। पहले घंटे के कारोबार में बॉन्ड पर प्रतिफल मनोवैज्ञानिक रूप से अहम स्तर 7.40 प्रतिशत को पार कर लिया और 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गया। बॉन्ड की कीमत और प्रतिफल विपरीत दिशा में चलते हैं।
सॉवरिन बॉन्ड अन्य ऋण उत्पादों की कीमत तय करने में मानक होते हैं, ऐसे में सरकार के बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी का मतलब है कि अर्थव्यवस्था में उधारी की लागत बढ़ेगी।
सोमवार को कारोबारी घंटों के बाद जारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर जनवरी में बढ़कर 6.52 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो दिसंबर में 5.72 प्रतिशत थी। इसके साथ ही कीमतों का स्तर एक बार फिर रिजर्व बैंक की 2 से 6 प्रतिशत से उपर चला गया।
बाजार को उम्मीद थी कि जनवरी में खुदरा महंगाई 5.9 प्रतिशत के करीब रहेगी। बॉन्ड कारोबारियों के लिए प्रमुख महंगाई चिंता का विषय थी, जिसमें खाद्य और ईंधन में उतार चढ़ाव ज्यादा है। इसकी महंगाई दर 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है।
दिसंबर से रिजर्व बैंक प्रमुख महंगाई दर में कमी लाने को महत्त्व दे रहा है। हाल के महंगाई के आंकड़ों से पता चलता है कि बॉन्ड कारोबारियों को अप्रैल की नीतिगत समीक्षा के दौरान रिजर्व बैंक द्वारा दरों में और बढ़ोतरी किए जाने का डर है। मई 2022 के बाद रिजर्व बैंक ने रीप रेट में कुल 250 आधार अंक की बढ़ोतरी की है। इस समय रीपो रेट 6.50 प्रतिशत है।
एचडीएफसी बैंक के ट्रेजरी रिसर्च डेस्क ने लिखा है, ‘जनवरी में खुदरा महंगाई दर 6.52 प्रतिशत बढ़ी है। यह बाजार की उम्मीदों को पार कर गई है। इस माह के दौरान प्रमुख महंगाई भी मामूली बढ़ी (6.6 प्रतिशत, जो दिसंबर 22 में 6.4 प्रतिशत थी) है। इससे हमारे विचार की एक बार फिर पुष्टि होती है कि अप्रैल की नीतिगत घोषणा में रिजर्व बैंक एक बार फिर रीपो रेट बढ़ा सकता है।