वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से सरकार के समर्थन वाली किफायती जीवन बीमा योजनाओं का दायरा बढ़ाने के लिए अपने प्रयास तेज करने को कहा है। मंत्रालय ने वित्तीय समावेशन पहलों के तहत ऐसा करने का निर्देश दिया है। नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘वित्तीय समावेशन पहलों के तहत, खाता खोलने और अन्य पहलों में बैंकों का प्रदर्शन बेहतर है।
मगर हमने देखा है कि बीमा से जुड़ी गतिविधियों का प्रदर्शन कमतर है। पिछले साल दिसंबर तक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) सहित विभिन्न बैंकों में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के लिए नामांकन और इसे पूरा करना का लक्ष्य सालाना लक्ष्य के मुकाबले आधा ही है। इसलिए, हमने बैंकों से अपने प्रयास तेज करने के लिए कहा है ताकि विकसित भारत हासिल करने के लिए इन योजनाओं की भी पैठ बढ़े।’
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत, सभी बैंकों को 407.4 लाख नामांकन करने का लक्ष्य दिया गया था, जिनमें से बैंकों ने 207.8 लाख ही नामांकन किए यानी दिसंबर 2024 तक उनकी कुल उपलब्धि दर 51 फीसदी रही।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना भी साल 2015 में पेश की गई थी। इसके तहत व्यक्तिगत बैंक अथवा डाकघर में खाता खोलने वाले 18 से 50 वर्ष आयु वर्ग वाले लोगों की किसी भी कारण मृत्यु होने पर कवरेज प्रदान की जाती है। जो लोग 50 साल की आयु से पहले योजना में शामिल होते हैं, वे 55 साल की आयु तक 2 लाख रुपये के बीमा के लिए सालाना 436 रुपये का प्रीमियम देकर जीवन बीमा रख सकते हैं।
भारतीय स्टेट बैंक ने लक्ष्य का 76 फीसदी पूरा किया गया है, जबकि इंडियन बैंक ने 58 फीसदी और पंजाब ऐंड सिंध बैंक ने 56 फीसदी लक्ष्य पूरा किया है। इसके विपरीत, इंडियन ओवरसीज बैंक ने लक्ष्य का केवल 48 फीसदी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने सिर्फ 42 फीसदी लक्ष्य ही पूरा किया है। नौ बैंकों ने सालाना लक्ष्य का 50 फीसदी से भी कम हासिल किया है।
बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत नामांकन का लक्ष्य बेहतर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, पिछले साल दिसंबर तक सभी बैंकों को कुल मिलाकर 6.34 करोड़ नामांकन का लक्ष्य दिया गया था, जिसमें बैंकों ने 64 फीसदी सफलता हासिल की और 4.07 करोड़ नामांकन किए।