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ट्रेजरी लाभ और प्रावधान में कमी से सरकारी बैंकों का शुद्ध लाभ बढ़ा, ब्याज दर कटौती से NII पर दबाव

वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में शुद्ध लाभ 44,218 करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले के 39,974 करोड़ रुपये से अधिक है।

Last Updated- August 11, 2025 | 10:25 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के दौरान शुद्ध लाभ में 10.6 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर्ज की जो ट्रेजरी लाभ, शुल्क, कमीशन और रिकवरी में बड़ी वृद्धि के कारण संभव हुई। फंसे हुए ऋणों के लिए प्रावधान घटने से भी शुद्ध ब्याज आय और मार्जिन को मदद मिली।

वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में शुद्ध लाभ 44,218 करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले के 39,974 करोड़ रुपये से अधिक है। बीएस रिसर्च ब्यूरो द्वारा सूचीबद्ध 12 सरकारी बैंकों के संकलित आंकड़ों के अनुसार तिमाही आधार पर शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के 48,370 करोड़ रुपये के मुकाबले जून तिमाही में 8.6 प्रतिशत तक घट गया।

सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों की आमदनी का प्रमुख स्रोत- शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई)- सालाना आधार पर 0.2 फीसदी पर सपाट रहा और वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में यह आंकड़ा 1.06 लाख करोड़ रुपये रहा। तिमाही आधार पर एनआईआई वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के 1.09 लाख करोड़ रुपये से 3.2 फीसदी तक घट गया। बैंकरों ने कहा कि नीतिगत दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों को देने से बैंकों के एनआईआई पर दबाव पड़ा, खासकर खुदरा क्षेत्र में बाह्य-बेंचमार्क वाले ऋणों के लिए।

भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बकाया रुपया ऋणों पर भारित औसत उधार दर जून 2024 में 9.21 प्रतिशत से घटकर मार्च में 9.09 प्रतिशत और जून 2025 में 8.76 प्रतिशत रह गई। भारित औसत सावधि जमा दर जून 2024 में 7.0 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2025 में 7.16 प्रतिशत हो गई, लेकिन जून 2025 में घटकर 7.05 प्रतिशत रह गई।

गिरी यील्ड से ट्रेजरी को फायदा  

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की अन्य आय सालाना आधार पर 42.4 प्रतिशत बढ़कर 48,996 करोड़ रुपये रही। हालांकि, मार्च 2025 में समाप्त तिमाही के 58,186 करोड़ रुपये की तुलना में यह तिमाही आधार पर 15.8 प्रतिशत कम रही। गैर-ब्याज आय को अनुकूल ट्रेजरी लाभ और बट्टे खाते में डाले गए खातों से वसूली से लाभ मिला। केयरएज रेटिंग्स ने परिणामों की समीक्षा पर एक नोट में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने उल्लेखनीय मार्क-टू-मार्केट (एमटीएम) लाभ दर्ज किया, जिसको बॉन्ड प्रतिफल में कमी के बीच लंबी अवधि की सरकारी प्रतिभूतियों में उनके अधिक निवेश से फायदा हुआ।

बैंकरों का कहना है कि जहां बैंकों को पहली तिमाही में ट्रेजरी की आय से मदद मिली, वहीं अप्रैल-जून की अवधि ऋण वृद्धि के लिहाज से धीमी तिमाही रही और शुल्क व कमीशन से होने वाली आय भी कमजोर रही। जून 2025 तक भारत सरकार के 10-वर्षीय बॉन्ड पर प्रतिफल तिमाही आधार पर 33 आधार अंक घटकर 6.66 प्रतिशत की तुलना में 6.33 प्रतिशत रह गया। केयरएज ने कहा कि ब्याज दरों में कटौती के कारण चालू तिमाही में बॉन्ड प्रतिफल में आई इस गिरावट ने बॉन्ड की कीमतों को बढ़ा दिया, जिससे ट्रेजरी आय में वृद्धि हुई है।

मजबूत परिसंपत्ति गुणवत्ता से प्रावधान खर्च घटा

परिसंपत्ति गुणवत्ता मजबूत रहने से प्रावधान और आकस्मिक व्यय (यानी मुख्यतः दबावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए अलग रखा गया धन) सालाना आधार पर 6.4 प्रतिशत घटकर 15,918 करोड़ रुपये रह गया। यह तिमाही आधार पर वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के 17,789 करोड़ रुपये से 10.5 प्रतिशत कम रहा। सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (जीएनपीए) जून 2024 के 3.28 लाख करोड़ रुपये से घटकर जून 2025 में 2.77 लाख करोड़ रुपये रह गईं।

First Published - August 11, 2025 | 9:55 PM IST

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