निजी क्षेत्र के बैंकों और विदेशी बैंकों में कारोबारी संचालन मजबूत बनाने के मकसद से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इन बैंकों में कम से कम दो पूर्णकालिक निदेशक नियुक्त करने का निर्देश दिया है। इस पैमाने पर खरे नहीं उतरने वाले बैंकों को चार महीने के अंदर पूर्णकालिक निदेशकों की नियुक्ति का प्रस्ताव आरबीआई के पास जमा कराकर मंजूरी लेनी होगी। बैंकों को पूर्णकालिक निदेशक नियुक्त करने के लिए बैकिंग नियामक से इजाजत लेनी पड़ती है।
इस समय निजी क्षेत्र के इंडसइंड बैंक, तमिलनाड मर्केंटाइल बैंक, सीएसबी बैंक, डीसीबी बैंक, धनलक्ष्मी बैंक, सिटी यूनियन बैंक और साउथ इंडियन बैंक में दो पूर्णकालिक निदेशक नहीं हैं। विदेशी बैंकों के पूर्ण स्वामित्व वाली इकाइयों में से एसबीएम बैंक में केवल एक पूर्णकालिक निदेशक हैं। इन बैंकों में केवल प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधकारी ही पूर्णकालिक निदेशक हैं।
इनमें से कुछ बैंकों जैसे तमिलनाड मर्केंटाइल बैंक और एसबीएम के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) इस्तीफा दे चुके हैं और ये बैंक नए सीईओ की नियुक्ति में जुटे हैं। आरबीआई ने बैंकिंग क्षेत्र की बढ़ती जटिलता को देखते हुए बैंकों को वर्तमान एवं नई चुनौतियों से निपटने के लिए कुशल वरिष्ठ प्रबंधन टीम बनाने का निर्देश दिया है।
उसने आज जारी परिपत्र में कहा, ‘ऐसी टीम के गठन से बैंक की उत्तराधिकार योजना में मदद मिल सकती है। यह प्रबंध निदेशक एवं सीईओ पदों के लिए कार्यकाल और ऊपरी आयु सीमा से संबंधित नियामकीय शर्तों को देखते हुए और भी जरूरी है।’
निजी क्षेत्र के एक बैंक के सीईओ ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘आरबीआई का निर्देश होने की वजह से हमें यह मानना पड़ेगा। हम नाम छांटने का काम फौरन शुरू कर देंगे।’
आरबीआई ने कहा कि बैंक के बोर्ड को बैंक के परिचालन आकार, व्यावसाय की जटिलता और अन्य जरूरी पहलुओं का ध्यान रखते हुए पूर्णकालिक निदेशकों की संख्या पर फैसला करना चाहिए। उसने कहा, ‘इन निर्देशों के हिसाब से जो बैंक फिलहाल न्यूनतम शर्त पूरी नहीं करते, उन्हें बैंकिंग नियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35बी (1)(बी) के तहत यह सर्कुलर जारी होने के चार महीने के भीतर पूर्णकालिक निदेशकों की नियुक्ति संबंधी प्रस्ताव जमा करने की सलाह दी जाती है।’
परिपत्र में कहा गया है कि जिन बैंकों के संगठन नियमों में पूर्णकालिक निदेशकों की नियुक्ति का प्रावधान नहीं है, वे आरबीआई से इसके लिए जल्द मंजूरी मांग सकते हैं।
सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के निदेशक मंडल के साथ इस साल जुलाई में हुई बैठक में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने जोर देकर कहा था कि बैंकों के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ को अपने बैंक का संचालन सुदृढ़ बनाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए और बैंकिंग क्षेत्र के स्थायित्व के तीन स्तंभों अनुपालन, जोखिम प्रबंधन तथा ऑडिट कामकाज पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।