बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की कमी के कारण ब्याज दरें ज्यादा रहने की संभावना है। रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स का कहना है कि इसकी वजह से निजी बैंकों द्वारा धन जुटाने के लिए सर्टिफिकेट आफ डिपॉजिट (सीडी) जारी करने को बल मिल सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा में बैंकों से कहा था कि वे बढ़ा नकद आरक्षित अनुपात (आई-सीआरआर) 12 अगस्त से 10 प्रतिशत तक बनाए रखें। रिजर्व बैंक ने कहा था कि वह 8 सितंबर के पहले नकदी की सख्ती की स्थिति की समीक्षा करेगा।
रिजर्व बैंक के इस कदम से व्यवस्था से करीब 1 लाख करोड़ रुपये नकदी कम हो गई है। इसके परिणामस्वरूप बैंकिंग व्यवस्था में नकदी एनडीटीएल का 0.5 प्रतिशत कम हो गई है। इसकी वजह से कम अवधि की दर 25 से 40 आधार अंक बढ़ी है।
संसाधन की चुनौतियों से निपटने के लिए निजी बैंक सर्टिफिकेट आफ डिपॉजिट (सीडी) जारी कर रहे हैं। खासकर उन बैंकों को ऐसा करना पड़ रहा है, जिनकी आसान जमा तक पहुंच कम है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सीडी इश्यूएंस अगस्त 2023 से तेजी से कम होकर 14,800 करोड़ रुपये (21 अगस्त 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक) रह गया है, जो जुलाई 2023 में 34,600 करोड़ रुपये था। निजी क्षेत्र के बैंकों ने 21 अगस्त तक 12,700 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जबकि जुलाई 2023 तक 10500 करोड़ रुपये थे।