लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) की सभी शाखाओं ने डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड (डीबीआईएल) की शाखाओं के तौर पर कामकाज शुरू कर दिया है।
एलवीबी पर मोरेटोरियम भी शुक्रवार को हटा लिया गया था। 17 नवंबर को, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस बैंक और डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड (सिंगापुर स्थित डीबीएस बैंक की सहायक इकाई) के साथ उसके प्रस्तावित विलय को मोरेटोरियम के दायरे में शामिल किया था। मोरेटोरियम की अवधि के दौरान बैंक के मामले देखने के लिए टी एन मनोहरन को प्रशासक के तौर पर भी नियुक्त किया गया था।
इस बीच, मद्रास उच्च न्यायालय ने डीबीएस बैंक इंडिया के साथ एलवीबी के विलय पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। न्यायालय ने एयूएम कैपिटल मार्केट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा इस विलय को चुनौती देने के लिए 21 जनवरी को दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है।
मद्रास उच्च न्यायालय ने डीबीएस बैंक इंडिया को उस स्थिति में यह वादा करने को कहा है कि यदि विलय योजना के खिलाफ दायर लिखित याचिका पर फैसला किया जाता है तो वह एलवीबी के शेयरधारकों को क्षतिपूर्ति देगा।
याची के लिए पेश हुए पी एस रमन ने कहा, ‘यह तर्क दिया गया था कि जमाकर्ताओं और बकाएदारों के हितों को सुरक्षित बनाने के बाद शेयरधारकों की सुरक्षा के विकल्प तलाशने होंगे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। एलवीबी का डीबीएस बैंक इंडिया के साथ विलय का निर्णय मनमाना था।’ उन्होंने कहा कि न्यायालय को यह भी बताया गया था कि डीबीएस बैंक इंडिया शुरू में करीब 5,000 करोड़ रुपये में एवीबी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने को तैयार था, लेकिन आरबीआई ने तब इनकार कर दिया था।
अधिकारियों का कहना है कि बैंक की शाखाओं में परिचालन का पहला दिन सामान्य रहा और इसमें किसी कामकाजी दिन की तरह की कार्य हुआ। ग्राहकों से मिली प्रतिक्रियाओं में कहा गया है कि आरबीआई का निर्णय (सिंगापुर के डीबीएस को शामिल करने के संबंध में) उनके और बैंक के भविष्य के लिए अच्छा है।
जहां परिचालन के पहले दिन कोई खास कार्य नहीं हुआ, वहीं डीबीआईएल और एलवीबी के अधिकारियों ने आसान परिचालन सुनिश्चित करने के लिए समन्वय बनाने पर जोर दिया। उनका कहना है कि समेकन प्रक्रिया में कुछ सप्ताहों तक ट्रेजरी परिचालन शामिल होगा।
इस विलय के बाद डीबीआईएल की शाखाओं की संख्या बढ़कर 600 हो गई है। एलवीबी की 563 शाखाएं हैं और पूरे भारत में उपस्थिति वाले पांच एक्सटेंशन काउंटर हैं। उसके 975 एटीएम हैं और विभिन्न व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में पीओएस मशीनें हैं।
भले ही डीबीआईएल अच्छी तरह से पूंजीकृत है, लेकिन वह विलय के बाद गठित इकाई की ऋण वृद्घि को मजबूत बनाने के लिए 2500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त अग्रिम पूंजी लगाएगी। प्रस्तावित विलय के बाद डीबीआईएल की संयुक्त बैलेंस शीट अतिरिक्त पूंजी निवेश के बगैर 12.51 प्रतिशत के पूंजी पर्याप्ता अनुपात (सीएआर) के साथ मजबूत बनी रहेगी।
न्यायमूर्ति विनीत कोइारी और न्यायमूर्ति एमएस रमेश की उपस्थिति वाले मद्रास उच्च न्यायालय के खंडपीठ ने कहा, ‘इस विलय के खिलाफ कोई स्थायी आदेश नहीं दिया जा सकता, क्योंकि यह विलय योजना पहले ही परिचालन में आ चुकी है।’
याची का आरोप है कि विलय योजना में बैंकिग रेग्युलेशन ऐक्ट का उल्लंघन हुआ है, क्योंकि इसके लिए आरबीआई को बैंक (विलय से जुड़े) के सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करने की जरूरत होती है।
यह बताना जरूरी है कि गुरुवार को, बंबई उच्च न्यायालय ने डीबीएस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक के बीच विलय की निर्णायक योजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
