आईसीआईसीआई के प्रबंध निदेशक और सीईओ के.वी. कामत ने कहा है कि सिस्टमैटिक लिक्विडीटी की हालत ठीक है लेकिन अभी क्रेडिट ऑफटेक उतना नही हैं कि ब्याज दरों में बदलाव की जरूरत हो।
उनका मानना है कि लिक्विडीटी को देखते हुए अभी हमें जल्दबाजी में ब्याज दरों को बढ़ाने या घटाने का फैसला नही लेना चाहिए। कामथ स्टेट बैंक द्वारा जमा दरों में संभावित इजाफे से संबंधित सवाल के जवाब में बोल रहे थे।
इसके अलावा उन्होने कर्ज माफी योजना से सरकार पर पड़ने वाले असर पर कहा कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि कहां और कैसे रकम को माफ किया जाना है,जब तक यह स्पष्ट नही हो जाता तब तक कुछ भी अनुमान लगाना मुश्किल है। हालांकि,उन्होने माना कि कि सानों की कर्ज माफी से जरूर वित्तीय प्रबंधन पर असर पड़ेगा।
सीआईआई की बैठक में उन्होने बताया कि एफआरबीएम (फिस्कल रेस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट) जीडीपी के धीमे चाल से जरूर दबाव अनुभव कर रहा है। सीआईआई के अध्यक्ष ने इस बात पर बल दिया कि विकास गति को बरकरार रखने के साथ-साथ कृषिगत विकास को भी बनाए रखना जरूरी है॥ इसके लिए कामथ ने व्यावसायिक प्रशिक्षण की वकालत की, जिससे कुशल लोगों की कमी से निबटा जा सकता है।
उनके मुताबिक अब वक्त आ चुका है कि ऐसे प्रशिक्षण केंद्र देशभर के संस्थानों,विश्विद्यालयों में शुरू किए जाएं,ताकि स्किल्ड जॉब की मांग को पूरा किया जा सके। मीडियम टर्म के लिए विकास का एजेंडा बेहतर स्वास्थ्य,शिक्षा और वित्तीय उत्पादों की सुविधा मुहैया करवाना और पाना होना चाहिए।