भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा है कि आरबीआई सरकार के उधार लेने की योजना का बेहतर ढंग से प्रबंधन करेगा और इससे बाजार पर किसी भी तरह का असर नहीं पड़ेगा।
कठिन वित्त वर्ष का सामना करने के लिए तैयार भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि तरलता की स्थिति आरामदायक बनाए रखने के लिए रिजर्व बैंक सभी विकल्पों की तलाश करेगा। सुब्बाराव ने कहा कि हम सभी विकल्पों की तलाश करेंगे और उनमें से उचित उपायों को लागू करेंगे।
सुब्बाराव ने कहा कि रिजर्व बैंक कम से कम अवरोधक तरीके से सरकार के उधारी कार्यक्रम का प्रबंधन करने का प्रयास करेगा। सुब्बाराव ने कहा कि लोगों के मन में सरकार के उधार लेने को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं हैं लेकिन रिजर्व बैंक इस बात को पूरी तरह से सुनिश्चित करेगा कि बाजार पर इसका कोई भी असर नहीं पड़े।
जब सुब्बाराव से सरकार द्वारा बॉन्ड के केंद्रीय बैंक के साथ प्राइवेट प्लेसमेंट के बारे में जब गवर्नर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी तक कोई फ ैसला नहीं हुआ है और फिलहाल इस बारे में कुछ भी कहना बहुत मुश्किल है।
उन्होंने कहा कि हम सरकार से उधार लिए जाने वाली रकम की सीमा पर बातचीत कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सरकार ने मार्च 2006 के बाद अब तक रिजर्व बैंक के साथ बॉन्ड का प्राइवेट प्लेसमेंट नहीं किया है।
उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान सरकारी कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी, तेल और ऊर्वरकों पर ज्यादा सब्सिडी और किसानों की कर्जमाफी के कारण सरीकार के खजाना पर जबरदस्त दबाव पडा है।
इस वजह से संतुलन की स्थिति बनाए रखने के लिए सरकार को उधार लेने के लिए मजबूर हो ना पडा है। इधर गंभीर वित्तीय संकट के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। आर्थिक मदीं से निपटने के लिए सरकार और आरबीआई कई कदम उठा चुकी है और इसी के तहत हाल में ही सरकार ने अर्थव्यवस्था के लिए सहायता राशि की खुराक भी दी है।