कई बैंकों ने लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो (एलसीआर) पर जारी मसौदा परिपत्र (draft circular) पर अपनी नाखुशी जताई है और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को इस संबंध में पत्र लिखा है। इस मसौदा परिपत्र में बैंकों को इंटरनेट एवं मोबाइल बैंकिंग से जुड़े खुदरा जमा के लिए अतिरिक्त 5 प्रतिशत प्रावधान (रन-ऑफ) करने के लिए कहा गया है। मगर बैंकों का कहना है कि यह नया निर्देश प्रभावी होने के बाद उनकी ऋण आवंटन की रफ्तार धीमी हो जाएगी क्योंकि वे पहले ही बचतकर्ताओं से जमा जुटाने में जद्दोजहद कर रहे हैं।
आरबीआई ने जुलाई में यह मसौदा परिपत्र जारी किया था। अगर ये मसौदा दिशानिर्देश लागू होते हैं तो इंटरनेट एवं मोबाइल बैंकिंग से जुड़े खुदरा जमा योजनाओं के लिए 10 प्रतिशत और कम स्थिर जमा के लिए 15 प्रतिशत प्रावधान करने होंगे। बैंकरों के अनुसार ज्यादातर खुदरा जमा इंटरनेट एवं मोबाइल बैंकिंग सुविधाओं से जुड़े रहते हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र के एक बड़े बैंक के एक बड़े अधिकारी ने इस पहल को डिजिटलीकरण के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा, ‘हमारे कुल खुदरा जमा में 90 प्रतिशत से अधिक इंटरनेट एवं मोबाइल बैंकिंग से जुड़े होते हैं। इस लिहाज से आरबीआई के प्रस्तावित निर्देश से सभी खुदरा जमा योजनाओं पर असर होगा। अगर ऐसा हुआ तो बैंक अपने ग्राहकों को उनके खाते मोबाइल एवं इंटरनेट बैंकिंग से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित नहीं करेंगे।’ कई बैंकों ने नए नियमों पर अपनी चिंता जाहिर की है मगर इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) ने इस विषय पर अब तक अपनी राय नहीं जताई है।
आईबीए के एक शीर्ष अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इस पर फिलहाल हम कुछ तय नहीं कर पाए हैं और सोच-विचार जारी है।’ नए मसौदा परिपत्र पर सुझाव देने की आखिरी तारीख 31 अगस्त थी।
ये निर्देश ऐसे समय में आए हैं जब बैंक जमा जुटाने में चुनौतियों से जूझ रहे हैं। पिछले दो वर्षों के दौरान जिस तेजी से ऋण आवंटित हो रहे हैं उस रफ्तार से बैंक जमा नहीं जुटा पा रहे हैं। आरबीआई इस स्थिति पर अपनी चिंता जाहिर करता रहा है। बैंक इस अंतर को पाटने के लिए अल्प अवधि की गैर-खुदरा जमा का सहारा लेने लगे थे।
रेटिंग एजेंसी इक्रा द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार खुदरा ग्राहकों एवं छोटे कारोबारियों से आने वाली जमा रकम की हिस्सेदारी जून 2021 के शीर्ष स्तर से 4.8 प्रतिशत कम हो गई और मार्च 2024 तक कुल जमा का 59.5 प्रतिशत रह गई।
इक्रा ने पिछले महीने कहा था कि यह मार्च 2024 के आंकड़े खुदरा जमा की तुलना में थोक जमा में अधिक बढ़ोतरी की तरफ इशारा कर रहे हैं। इक्रा ने कहा, ‘थोक जमा के लिए बैंकों को अधिक प्रावधान करने पड़ते हैं इसलिए इनमें बढ़ोतरी बैंकों के एलसीआर का गणित और बिगाड़ सकते हैं।’