भारत के कर्ज देने वाले बैंक व वित्तीय कंपनियां त्योहारों के इस सीजन में सितंबर से दिसंबर 2023 के दौरान खुदरा ऋण में वृद्धि की उम्मीद कर रही हैं। मांग बनी रहने, व्यय बढ़ाने के सरकार के कदमों और प्रमुख राज्यों में आम चुनाव को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है।
बहरहाल बैंकरों ने कहा कि ब्याज दरों को लेकर बैंकों व वित्तीय संस्थानों में चलने वाली जंग की संभावना बहुत कम है, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक ने नकदी पर सख्ती बना रखी है और मुनाफे व ऋण की गुणवत्ता के असर को लेकर भी चिंता है।
पिछले साल अगस्त-दिसंबर 2022 के दौरान बैंकों के खुदरा कर्ज में वृद्धि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 19.5 से 20.2 प्रतिशत रही थी। उस समय बाजार कोविड महामारी की दूसरी लहर के बाद घटी हुई मांग से उबर रहा था।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक इस साल कुल मिलाकर खुदरा ऋण में जून 2023 तक पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 21 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
आवास ऋण में सालना 15 प्रतिशत, क्रेडिट कार्ड में 36 प्रतिशत, वाहन ऋण में -23 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
आईडीबीआई बैंक में डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर (खुदरा बैंकिंग) सुरेश खटनहार ने कहा कि कारोबारियों में प्रतिस्पर्धा होगी, जो स्वीकृति के वक्त और ग्राहकों को दी जाने वाली योजनाओं से संचालित होगी, न कि दरों में कटौती को लेकर जंग होगी।
त्योहारों के ऑफर में खुदरा कारोबारियों और उपभोक्ता वस्तुओं की कंपनियों के साथ समझौते की अहम भूमिका होगी। मुंबई के सरकारी बैंक यूनियन बैंक आफ इंडिया ने नए ग्राहकों के लिए आवास ऋण व चारपहिया व दोपहिया वाहनों के ऋण पर प्रॉसेसिंग शुल्क खत्म कर दिया है, जिनका क्रेडिट स्कोर 700 से ऊपर है। यह पेशकश अगस्त के मध्य से 15 नवंबर 2023 तक रहेगी।
अगस्त की मौद्रिक नीति की समीक्षा से मेल खाते हुए रिजर्व बैंक के ऋण सर्वे से पता चला है कि बैंकर 2023-24 की तीसरी व चौथी तिमाही में कर्ज की मांग को लेकर उत्साहित हैं। यह सभी श्रेणियों में कर्ज लेने की मांग को लेकर है। इस समय जारी ऋण के आसान नियम व शर्तें 2023-24 की दूसरी छमाही में जारी रहने की संभावना है।
भारतीय स्टेट बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि खुदरा क्षेत्र के लिए मांग कोई मसला नहीं है, जब अर्थव्यवस्था सही है। साथ ही मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं, जिसका मतलब है कि ज्यादा छूट मिलेगी और व्यय होगा। एसबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय भी ग्रामीण इलाकों में कम उधारी लेने वालों को कर्ज बढ़ा रहा है।
एक वित्तीय कंपनी के अधिकारी ने कहा कि अंडरराइटिंग प्रावधानों में सख्ती और सोशल मीडिया से आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से आंकड़े प्राप्त कर यह स्थिति हासिल हुई है, अभी वृद्धि धीरे धीरे चल रही है, ऐसे में कोई भी कर्जदाता ऐसे नए कर्ज नहीं देना चाहता, जिससे उसकी बेहतर क्रेडिट प्रोफाइल पर असर पड़े।