आईसीआईसीआई बैंक ने हाल ही में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के नए प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी के तौर पर वी वैद्यनाथन की नियुक्ति की घोषणा की है।
वैद्यनाथन वर्तमान में रिटेल और एसमई ऋण के डायरेक्टर इन-चार्ज हैं। उन्होंने सिध्दार्थ से बैंक के अनुभवों और एक मई से मिलने वाले नये कार्यभार को वे किस तरह देखते है, इन विषयों पर बातचीत की। बातचीत के कुछ अंश:
नए कार्यभार को आप किस प्रकार देखते हैं?
बहुत बढ़िया है। जिम्मेदारियां बढ़ी हैं। इससे रोमांचकारी और क्या हो सकता है।
बीमा कंपनियों के लिए साल 2008-09 बढ़िया नहीं रहा और आप ऐसे समय में वहां जा रहे हैं जहां आपको नई टीम के साथ काम करना होगा। क्या इससे आपका काम ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाएगा क्योंकि आपके ऊपर कंपनी को एक खास दिशा देने की जिम्मेदारी भी होगी?
देखिए, बीमा के बाजार में अभी भी पहुंच काफी कम है, इसे बढ़ना है। बचत, निवेश या ऋण की तरह ही बीमा भी लोगों की जरूरत है। कई कंपनियों के इस क्षेत्र में आने, विभिन्न योजनाएं और बीमा की जरूरतों के बारे में बढ़ती जागरुकता से बाजार का बढ़ना तय है। जहां तक टीम की बात है तो वर्तमान टीम वहां बनी रहेगी। इस टीम काफी ठोस कारोबार किया है। तंत्र अपनी जगह बना हुआ है इसलिए यह एक बेहतर सोपान है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल उन चुनिंदा बीमा कंपनियों में पहली हो सकती है जो बाजार में आईपीओ लाने वाली है। क्या इस बारे में आप कुछ विचार कर रहे हैं?
यह बाजार की स्थिति और हमारी पूंजी जरूरतों पर निर्भर करता है। हम इस चीज पर निगाह रखेंगे।
इस कार्यभार के तहत आपकी क्या नीति होगी?
इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन हम सबसे ज्यादा तरजीह बाजार के विस्तार को देंगे।
पिछले कुछ वर्षों का अनुभव कैसा रहा है?
बदलाव का प्रबंधन, नीतियां परिवर्तित करने के बावजूद यह काफी अच्छा था। हमने शाखाओं को अपना केन्द्र विंदु बनाया, खर्चों में भारी कटौती की और संसाधनों को वृध्दि के नए क्षेत्रों में लगाया। मुझे यही याद है।
रिटेल क्षेत्र में सालों से तेज बढ़ोतरी होने के बाद आप ऐसे समय में आईसीआईसीआई बैंक छोड़ रहे हैं जब कारोबार में अच्छी-खासी गिरावट देखी जा रही है। आपको इस बात का कोई दुख?
बैंक का ध्यान मुख्य रूप से अच्छी गुणवत्ता के ऋण को बढ़ाना रहा है भले ही ऋण आवंटन में कमी ही क्यों न हो। आप ऋण के क्षेत्र में ऐसा ही देख रहे हैं। पिछले साल आर्थिक परिस्थितियों के कारण उपभोक्ता बाजार में मंदी रही।
इसके अलावा, बैंक देनदारियों और शाखाओं के मामले में मजबूती से विकास कर रहा है। पिछले साल शाखाओं की संख्या 750 थी जो इस साल 1,400 हो गई है और हमारी योजना है कि अगले साल तक इसे 2,000 कर दिया जाए।
खुदरा जमाओं के माध्यम से अकेले मार्च 2009 में हम लगभग 6,000 करोड रुपये जुटाने में सफल रहे हैं। बुक में मंदी केवल उधारी के क्षेत्र में है लेकिन यह हमारी सतर्क नीतियों का एक हिस्सा है। इस बदलाव का प्रबंधन भी अपने आप में एक बड़ा अनुभव है, ऋण वृध्दि जल्द ही रफ्तार पकड़ेगी। बैंकिंग के क्षेत्र में आईसीआईसीआई बैंक से बेहतर मंच आप नहीं पा सकते।
क्या रिटेल बुक को इतनी तेजी से बढ़ाने की नीति ठीक थी?
देखिए, वक्त के हिसाब से यह ठीक थी। यह वैसा समय था जब दरें कम हो रही थीं। जब साल 2006-07 में जब ब्याज दरें बढ़नी शुरू हुई तो हमने इसमें तेजी से बदलाव किया।
आप आईसीआईसीआई बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कर्याधिकारी पद के उम्मीदवारों में से एक थे। क्या इसे चूकने का कोई पछतावा है?
क्या आप मजाक कर रहे हैं? चंदा कोचर वहां हैं। मैं तो वहां दूर-दूर तक नहीं था। मैं जहां हूं वहां काफी खुश हूं।
