वित्त मंत्री ने बैंकों को अन्य कार्डों की बजाय भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा जारी रुपे कार्ड पर ध्यान देने के लिए कहा है। ऐसे में वीजा और मास्टरकार्ड के लिए इसका मुकाबला करना मुश्किल भरा कार्य हो सकता है। लेकिन डिजिटल बैंकिंग के विस्तार के कारण सभी के लिए विस्तार करने की काफी गुंजाइश है।
भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की सालाना आम बैठक के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि बैंकों को निश्चित रूप से रुपे कार्ड को बढ़ावा देना चाहिए और इसे पहले विकल्प के तौर पर जारी करना चाहिए।
सीतारमण ने कहा, ‘जिस किसी को कार्ड की आवश्यकता होगी, रुपे एकमात्र ऐसा कार्ड है जिसे आप बढ़ावा देंगे और मैं यह नहीं सोचती कि ऐसे समय पर जब रुपे कार्ड वैश्विक हो रहा है तब भारत में आज किसी भारतीय को रुये कार्ड की जगह किसी दूसरे कार्ड को देने की अनिवार्यता है।’
रुपे का इस्तेमाल डेबिट, क्रेडिट और प्रीपेड कार्ड को जारी करने के लिए किया जाता है और इसे संपर्करहित-ऑफलाइन तथा ऑनलाइन लेनदेन दोनों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। रुपे ने 60 करोड़ कार्ड जारी किए हैं लेकिन कार्ड जारीकर्ताओं की बाजार हिस्सेदारी को लेकर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। इस क्षेत्र में रुपे की प्राथमिक प्रतिस्पर्धी वीजा, मास्टरकार्ड और अमेरिकन एक्सप्रेस है। इन तीनों का भारत में परिचालन का लंबा इतिहास है। देश में डिजिटल पारितंत्र के निर्माण में इन कंपनियों की अहम भूमिका रही है।
लेकिन स्थानीय डेटा को देश के भीतर रखने के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियमों से एनपीसीआई को समर्थन मिलता है। एनपीसीआई का अपनी यूनिफाइड पेमेंट्स सिस्टम (यूपीआई) के जरिये मोबाइल भुगतान प्रणाली पर लगभग एकाधिकार है। नियमत: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अब केवल रुपे डेबिट कार्ड जारी करेंगे लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति के साथ रुपे क्रेडिट कार्ड के क्षेत्र में भी बढ़ रहा है जो जहां परंपरागत तौर पर वीजा, मास्टरकार्ड और अमेरिकन एक्सप्रेस का दबदबा रहा है। सीतारमण की अपील के बाद निजी और विदेशी बैंक भी अधिक संख्या में रुपे कार्ड जारी कर सकते हैं।
भुगतान सेवा प्रदाताओं के लिए रुपे और एनपीसीआई को चुनौती देना मुश्किल है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि वे भारत के विस्तृत अनछुए बाजार में प्रासंगिक बने रहेंगे।
छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए मोबाइल आधारित भुगतान प्रणाली एचडीएफसी बैंक के स्मार्टहब मर्चेंट सॉल्यूशंस 3.0 को शुरू करने के मौके पर वीजा के लिए भारत और दक्षिण एशिया में समूह कंट्री प्रबंधक टी आर रामचंद्रण ने कहा कि भारत की 2.8 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था में व्यक्तिगत उपभोग खर्च (पीसीई) की हिस्सेदारी मुश्किल से 60 फीसदी है। ऐसे में सभी के लिए अभी काफी अवसर मौजूद है।
उन्होंने कहा, ‘पश्चिम के उलट भारत बड़ा देश है। पश्चिम में जहां किसी के जीतने के लिए किसी को हारना पड़ता है वहीं भारत में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए घरेलू, अंतरराष्ट्रीय सभी कंपनियों के लिए अवसर हैं। सभी की हिस्सेदारी से नवाचार को बल मिलता है और ग्राहक को विकल्प मिलते हैं। इसमें हम सभी के लिए अपनी अपनी भूमिका निभाने के लिए अवसर है।’
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि वीजा और मास्टरकार्ड के पास इसे चुनौती देने के लिए पर्याप्त गुंजाइश नहीं है। खेतान ऐंड कंपनी में पार्टनर अभिषेक ए रस्तोगी ने कहा, ‘वित्त मंत्री व्यवहारिक ढंग से और अधिकारपूर्वक रुपे कार्ड को बढ़ाव दे रही हैं और इसे उच्च स्तर के प्रेरक कदम के तौर पर देखा जाना चाहिए। ऐसा निर्देश नहीं दिया गया है कि दूसरे कार्ड जारी नहीं किए जा सकते हैं।’
