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FY26 की पहली तिमाही में बैंकों का मुनाफा गिरने की आशंका, ब्याज दरों में कटौती और ऋण में सुस्ती से कमाई पर दबाव

ब्याज दरों में कटौती और सुस्त ऋण वृद्धि के कारण बैंकों की पहली तिमाही की आय और मार्जिन में गिरावट आने की आशंका जताई जा रही है।

Last Updated- July 06, 2025 | 10:12 PM IST
Bank
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

सूचीबद्ध वाणिज्यिक बैंकों की लाभप्रदता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। विश्लेषकों को 30 जून को समाप्त हुई तिमाही (वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही) में इन बैंकों का शुद्ध लाभ सालाना आधार पर गिरकर 4.7 प्रतिशत होने का अनुमान है। ब्याज मार्जिन में दबाव और सुस्त आर्थिक वृद्धि के कारण क्रमिक आधार पर बैंकों का कर के बाद लाभ गिरकर 2.2 प्रतिशत हो सकता है।

ब्लूमबर्ग के 18 सूचीबद्ध बैंकों के आंकड़ों को संकलित करने से जानकारी मिलती है कि इस तिमाही में शुद्ध ब्याज आय में 2.2 प्रतिशत की सुस्त मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। दरअसल शुद्ध ब्याज आय से तात्पर्य अर्जित ब्याज और व्यय किए गए ब्याज के बीच के अंतर है।

इक्रा के वित्तीय क्षेत्र रेटिंग्स के कोग्रुप प्रमुख अनिल गुप्ता ने बताया कि सुस्त ऋण वृद्धि का शुद्ध ब्याज आय पर असर पड़ रहा है और इससे मार्जिन कम हो रहा है। उन्होंने बताया, ‘बैंकों ने बाह्य बैंचमार्क से जुड़े ऋणों पर तुरंत रीपो दर में कटौती का लाभ दे दिया है। ऐसे ऋण कुल ऋण बही खाते के करीब 42 प्रतिशत हैं और इससे उनकी ब्याज आय पर प्रभाव पड़ रहा है।’

गुप्ता ने बताया कि बैंकों ने सावधि जमा और बचत खातों पर दर को घटा दिया है लेकिन उन्हें देनदारियों की निश्चित प्रकृति के कारण लाभ देरी से मिलेगा।

 भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार घरेलू सावधि दर जून 2024 के 7 प्रतिशत से थोड़ी बढ़कर मई 2025 में 7.07 प्रतिशत हो गई। हालांकि इस अवधि में बकाया रुपये ऋण पर भारित औसत ऋण दर 9.89 प्रतिशत से गिरकर 9.67 प्रतिशत हो गई।  ऋण वृद्धि सालाना आधार पर जून 2024 के 19.1 प्रतिशत से तेजी से गिरकर जून 2025 के मध्य में 9.6 प्रतिशत आ गई थी।

मोतीलाल ओसवाल को उम्मीद है कि बेंचमार्क दरों में कमी के कारण सभी बैंकों के ऋण देने की यील्ड घटेगी जबकि धन जुटाने लागत में कुछ समय बाद बदलाव होगा। उन्होंने कहा, ‘भले ही ज्यादातर बैंकों ने एसए/टीडी दरों को कम कर दिया है, लेकिन धन जुटाने लागत में कमी तुरंत नहीं होगी।’

मैक्वेरी इक्विटी रिसर्च को शुद्ध ब्याज मार्जिन में 10 से 15 आधार अंक की कमी का अनुमान जताया है।

इसने कहा, ‘ वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में फरवरी और अप्रैल में हुई दर कटौती का पूरा प्रभाव नजर आना चाहिए। इसके अलावा, तिमाही आधार पर प्रणाली में व्यापक ऋण और जमा वृद्धि सपाट रही है। सालाना आधार पर ऋण वृद्धि 10 प्रतिशत से कम है जबकि जमा वृद्धि 10 प्रतिशत से ऊपर है।’

पिछली तिमाही को शुद्ध लाभ के शुल्क और ट्रेजरी लाभ जैसी गैर-परिचालन आय से मदद मिली थी। हालांकि इस तिमाही में सुस्त आय का अनुमान है। हालांकि सरकारी प्रतिभूतियों की यील्ड में गिरावट से गैर-ब्याज आय को बढ़ावा मिल सकता है। आईआईएफएल  सिक्योरिटीज ने बताया, ‘सरकारी प्रतिभूतियों में क्रमिक आधार पर 35-50 आधार अंक की गिरावट होने से कारोबारी लाभ मजबूत होने की उम्मीद है।’

विश्लेषकों को संपत्ति गुणवत्ता के बारे में उम्मीद है कि पहली तिमाही में बैंकों की नई चूकों का स्तर उच्च स्तर रह सकता है। इसका कारण असुरक्षित खुदरा ऋणों को और माइक्रोफाइनैंस खंड को उच्च जोखिम है।

येस सिक्योरिटीज ने प्रोविजनिंग में मिश्रित रुझान का अनुमान लगाया है। इसने कहा, ‘हमें एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और फेडरल बैंक के लिए मामूली वृद्धि की उम्मीद है जबकि एसबीआई, आरबीएल बैंक और इंडसइंड बैंक वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में बफर बनाने के कारण कम वृद्धि दर्ज कर सकते हैं।’

 

First Published - July 6, 2025 | 10:12 PM IST

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